चीन ने इन वर्ल्ड प्रसिद्ध किताबों पर लगाई पाबंदी, जानें वजह…

चीन के पश्चिमी क्षेत्र शिनजियांग में करीब 15 साल पहले हालात अभी जैसे बिल्कुल नहीं थे। उइगर मुस्लिम समुदाय के जाने-माने साहित्यकार याल्कुन रोजी तब उइगर किताबों के प्रकाशन में नौकरशाहों का मार्गदर्शन करते थे, जिनमें उइगर संस्कृति को बताने वाली कविताएं और कहानियां होती थीं। लेकिन अब हालात बिल्कुल बदल गए हैं। चीन ने अब ऐसी कई किताबों पर पाबंदी लगा दी है।

चीन में शिनजियांग को लेकर तीन साल पहले उस समय स्थितियां एकदम बदल गई, जब सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने क्षेत्र के अलगाववादियों और कट्टरपंथियों के खिलाफ अभियान शुरू किया। नतीजन रोजी जैसी हस्तियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। अनुमान है कि तब से लेकर अब तक करीब दस लाख उइगर मुस्लिमों को बंदी बनाकर हिरासत केंद्रों में रखा गया है। चीन इन हिरासत केंद्रों को व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र बता रहा है। कई अधिकार समूहों ने बताया कि इन बंदियों में 400 से ज्यादा जाने-माने शिक्षाविद, लेखक और कलाकार भी हैं।

आलोचकों का कहना है कि चीन की सरकार उइगर संस्कृति, भाषा और पहचान को कमजोर या खत्म करने के लिए बुद्धिजीवियों को निशाना बना रही है। 2016 में पकड़े गए रोजी (54) को सत्ता को नुकसान पहुंचाने के आरोप में दस साल से ज्यादा की सजा सुनाई गई है।

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फिलाडेल्फिया में परिवार के अन्य सदस्यों के साथ निर्वासित जीवन बिता रहे रोजी के बेटे कमालतुर्क याल्कुन ने कहा, ‘मेरे पिता को सरकार ने 2001 में एक समिति का प्रमुख बनाया था। इस समिति पर उइगर साहित्यिक किताबों का जिम्मा था। उन्होंने कई साल तक इसके लिए काम किया। ये किताबें सियासी नहीं थीं। इनमें उइगरों के लिए गर्व करने वाली बातें थीं। लेकिन चीन ने अचानक बहुतों की गिरफ्तारी कर सकते में डाल दिया।’

शिनजियांग में स्थितियां उस वक्त बदलीं, जब 2014 में कई आतंकी हमले हुए। इसके बाद चीन ने इस क्षेत्र में कट्टरपंथियों और अलगाववादियों पर अंकुश लगाने के लिए कार्रवाई शुरू की। उइगरों पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी गईं और उनकी निगरानी होने लगी।

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