चंद्र और सूर्य तिथि के अनुसार इस बार सावन मास शुरू हो गया है जो 15 अगस्त को रक्षा बंधन तक चलेगा। आचार्य पं.सुनील पैन्यूली ने बताया कि सावन मास में भगवान शिव का षडाक्षरी मंत्र ‘ॐ नम: शिवाय’ का जाप करते हुए रुद्राभिषेक और पूजन करना चाहिए।
बताया कि भगवान शिव का जल से अभिषेक करने पर वर्षा होती है। जबकि, असाध्य रोगों एवं बाधा दोष को शांत करने के लिए कुशोदक से रुद्राभिषेक करना चाहिए।
भवन-वाहन की प्राप्ति के लिए दही, लक्ष्मी प्राप्ति के लिये गन्ने के रस, धन-वृद्धि के लिए शहद और घी, मोक्ष प्राप्ति के लिए तीर्थ के जल, पुत्र प्राप्ति के लिए दुग्ध, सद्बुद्धि के लिए शक्कर मिले दूध से शिवलिंग का रुद्राभिषेक करना चाहिए।
मार्तंड रत्न एवं ज्योतिष अनुंसधान केंद्र के पं. सुनील पैन्यूली ने बताया कि इस बार का सावन बेहद ही खास है। इसे अद्भुत संयोग भी कहा जा सकता है। इस बार सावन के दो सोमवार पंचमी तिथि में पड़ रहे हैं, जिसे पूर्णा तिथि माना जा रहा है।
अति शुभ संयोग
इन पूर्णातिथियों को शुभ कार्यों के लिए अति शुभ संयोग माना जाता है। 2 सोमवार त्रयोदशी तिथि और प्रदोष काल में भी पड़ रहे हैं। इस कारण यह शिवभक्तों के लिए विशेष रूप से अच्छा फल देने वाले साबित होंगे।
बताया कि सावन मास में सूर्य देव कर्क राशि में स्थिर रहते हैं जो चन्द्र की राशि है। सोमवार को चंद्रवार भी कहा जाता है। इस कारण यह दिन भगवान शिव को खासा प्रिय होता है।
इस मास में भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व है। पुराणों और वेदों में भी सावन मास को बेहद खास बताया गया है। मान्यता है कि इस मास में जो व्यक्ति भगवान शंकर की आराधना करता है। उसके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।
कांवड़ियों में खासा उत्साह
श्रावण मास शुरू होते ही तीर्थनगरी ऋषिकेश भोलेनाथ के जयकारों से गुंजायमान होने लगी है। लगातार हो रही बारिश के बावजूद नीलकंठ जाने को कांवड़ियों में खासा उत्साह नजर आया। पहले दिन 30 हजार 600 श्रद्धालुओं ने नीलकंठ मंदिर में जलाभिषेक किया।
कांवड़ यात्रा में प्रतिवर्ष लाखों कांवडिये तीर्थनगरी से होते हुए दिल्ली, हिमाचल, हरियाणा, यूपी आदि राज्यों से कांवड़िए नीलकंठ दर्शन के लिए पहुंचते हैं। विभिन्न रूपों में पैदल कांवड़, डाक कांवड़ और बाइकों में कांवड़िये आते हैं। कई कांवड़िये गंगोत्री से जल लाकर नीलकंठ धाम पहुंचते हैं।
कांवड़ियों में दिखी प्रशंसनीय शालीनता
रामझूला पुल समेत नीलकंठ और तीर्थनगरी में भोले के जयकारों की गूंज सुनाई दे रही है। अपने नाथ के दर्शन करने के लिए कांवड़िये नंगे पैर नीलकंठ पहुंच रहे हैं। इस दौरान सभी जगहों पर पुलिस और प्रशासन मुस्तैद नजर आया। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए खाराश्रोत से शिवानंद तक, रामझूला पुल के दोनों ओर बेरिकेडिंग लगाए गए हैं। पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारी लगातार मेले पर नजर बनाए हुए हैं।
तमाम अव्यवस्थाओं के बावजूद कांवड़ियों में काबिलेतारीफ शालीनता देखने को मिली। रास्ते भर कई जगह बैरिकेडिंग के बावजूद घुमावदार रास्तों से गुजरते हुए कावंड़िये कहीं भी अमर्यादित व्यवहार करते नहीं दिखे। पूरे अनुशासन के साथ झुंड के झुंड कांवड़ियों ने यात्रा की। इस दौरान पुलिस बल को कहीं भी अतिरिक्त प्रयास या शिकायतों का सामना नहीं करना पड़ा।