प्रियंका ने तैयार की यूपी में हार के जिम्मेदार नेताओं की लिस्ट…

राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व का संकट भले ही बरकरार हो, लेकिन उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में कांग्रेस ने अपनी गलतियों को सुधारने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है. राजनीति में चुनावी करियर की शुरुआती पारी में एक के स्कोर पर आउट होने के बाद अब प्रियंका गांधी वाड्रा ने टीम के उन भेदियों की तलाश शुरू कर दी है, जिन्होंने पर्दे के पीछे से कांग्रेस को हराने का काम किया है.

बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने प्रियंका गांधी की सक्रीय राजनीति में एंट्री कराते हुए महासचिव बनाया और पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी थी. प्रियंका ने पूर्वांचल में जमकर मेहनत की थी, लेकिन पार्टी को हार से नहीं बचा सकीं. इतना ही नहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अमेठी संसदीय सीट पर बीजेपी की स्मृति ईरानी के हाथों करारी हार का मुंह देखना पड़ा. महज सोनिया गांधी ही रायबरेली से जीत सकीं और महज चार प्रत्याशी अपनी जमानत बचाने में कामयाब हो सके.

कांग्रेस के तीन सदस्यों की अनुशासन समिति ने बनाई रिपोर्ट

भागदौड़ भरी जिदगी में योग अमृत तुल्य है….

कांग्रेस को यूपी में मिली हार ने प्रियंका गांधी को हिलाकर रख दिया. यही वजह है कि प्रियंका की रणनीति साफ है जिन नेताओं ने विरोधियों के साथ मिलकर सांठगांठ की उसको पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाए. इसके लिए उन्होंने यूपी में तीनों नेताओं की बकायदा अनुशासनात्मक कमेटी बनाई थी, इसकी जिम्मेदारी पूर्व विधायक अनुग्रह नारायण सिंह, विनोद चौधरी और राम जियावन को सौंपी थी. कांग्रेस की इस अनुशासन समिति ने अपनी  रिपोर्ट तैयार कर ली है और जल्द ही वो प्रियंका गांधी को सौंपेगे.

भेदियों की फेहरिस्त तैयार

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस की अनुशासन समिति को कुल 33 शिकायतें मिली थीं, इनमें से 27 शिकायतों की पड़ताल की गई. यूपी में जिन जिलों से शिकायतें आई हैं, उनमे नेहरू-गांधी परिवार की कर्मभूमि इलाहाबाद और फूलपुर जिले भी शामिल हैं. इसके अलावा कौशांबी, गोंडा, बहराइच, अंबेडकर नगर और मऊ जैसे जिलों में कांग्रेस प्रत्याशियों ने भितरघात की शिकायत की थी.

जानकारी के मुताबिक अनुशासन समिति ने 5 जिलों की शिकायतों पर कार्रवाई पूरी कर ली है. इस संबंध में अनुशासन समिति के सदस्यों ने प्रियंका गांधी से भी मुलाकात कर उनके सामने सारी बातें रख दी हैं. माना जा रहा है कि 24 घंटे के भीतर कांग्रेस इन भितरघाती नेताओं पर गाज गिर सकती है.

महीने भर होगी कार्रवाई

अनुशासन समिति ने शिकायतों पर दिए गए सारे सबूतों की भी जांच की है. कांग्रेस के जिन नेताओं पर आरोप लगाए गए हैं, उनसे भी बकायदा जवाब मांगा है. इसके बाद ही फैसला लिया है. जुलाई के आखिर तक सभी शिकायतों पर कार्रवाई पूरी हो जाएगी. हालांकि कुछ शिकायतें फर्जी पाईं गईं या जिनके साथ कोई साक्ष्य नहीं थे उन्हें रद्द कर दिया.

इन दिग्गजों के इलाके में कोई शिकायत नहीं

पूर्वी उत्तर प्रदेश की कुछ ऐसी संसदीय सीटें हैं, जहां पर कांग्रेस के बड़े नेताओं का दबदबा है. इनके क्षेत्रों से अनुशासन समिति को कोई शिकायत नहीं मिली. हालांकि प्रियंका गांधी ने इस बात पर जोर दिया है कि वहां पर भी पार्टी की हार के कारणों का पता लगाया जाए.

सूत्रों के मुताबिक प्रतापगढ़, कुशीनगर, फैजाबाद, धौराहरा,  मिर्जापुर में भी पार्टी चुनाव हारी है मगर यहां से एक भी शिकायत नहीं आई है. जाहिर है कि इन जिलों में प्रमोद तिवारी, आरपीएन सिंह, निर्मल खत्री, जितिन प्रसाद और ललितेश त्रिपाठी जैसे सरीखे नेताओं का संगठन पर नियंत्रण है. स्थानीय संगठन में सारी नियुक्तियों से लेकर जिला समितियों का गठन भी इन नेताओं की मर्जी से होती है. ऐसे में कोई भी इनके खिलाफ बोल कर मुसीबत मोल नहीं लेना चाहता. 

दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर गुजरता है

दरअसल प्रियंका गांधी ने पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के कांग्रेस की जिला और शहर इकाइयों को भंग करके भितरघात का पता लगाने के लिए एक अनुशासन समिति बनाई थी. अनुग्रह नारायण सिंह की अध्यक्षता में बनी यह समिति ने नेताओं को 5 जुलाई तक अपनी शिकायतें जमा करने की समय सीमा दी थी.

हालांकि हर एक लोकसभा क्षेत्र की अपनी अलग शिकायत है. कुछ नेताओं ने दलबदलूओं को दिए गए टिकट को लेकर आपत्ति जताई. उनका कहना था कि ऐसे नेताओं ने संगठन को इस्तेमाल ही नहीं किया. कई जगह अंदरूनी कलह और गुटबाजी पार्टी को ले डूबी. इसके अलावा कई जगह जिला अध्यक्ष को लेकर रस्साकशी मची हुई थी ऐसे में पार्टी के लोगों ने ही पीठ पीछे छुरा भोंका.

प्रियंका गांधी वाड्रा ने समिति को निष्पक्ष और स्वतन्त्र होकर जांच करने की जिम्मेदारी दी. उनको अहसास हैं कि यूपी में कांग्रेस का संगठन शून्य के बराबर है और दिल्ली का रास्ता यूपी से ही निकलेगा. इसलिए प्रियंका गांधी किसी तरह की कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती हैं. माना जा रहा है कि भीतरघातियों को चिन्हित किया जा रहा है और भविष्य में उन्हें किसी तरह की कोई कमेटी में जगह नहीं दी जाएगी.  

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