तकनीकी खामी की वजह से रोकी गयी चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग, चंद मिनट पहले आयी खबर, राष्ट्रपति थे मौजूद
चंद्रमा की ओर बढ़ते देश के कदम लॉन्च व्हीकल में तकनीकी खामी से फिलहाल थम गए। सोमवार अलसुबह 2.51 बजे श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण होना था, तैयारी पूरी थी। लेकिन 56 मिनट 24 सेकंड पहले उलटी गिनती रोक दी गई। नई तारीख का एलान जल्द किया जाएगा।
इसरो के अनुसार, इस मिशन को रद्द नहीं किया गया है। जल्द ही इसकी नई तारीख का एलान होगा और इस महत्वपूर्ण मिशन को अंजाम दिया जाएगा। इसके साथ ही भारत पहली बार चंद्रमा पर दस्तक देगा। ऐसा करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश होगा। दुनिया में अंतरिक्ष महाशक्ति कहलाने वाले भारत के लिए यह बड़ी उपलब्धि होगी।
इसरो के मुताबिक, सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपण के 20 घंटे पहले रविवार सुबह 06.51 बजे चंद्रयान प्रक्षेपण की उलटी गिनती शुरू की गई थी। जीएसएलवी मार्क-3 के हिस्सों में ईंधन भरकर तैयार किया था। आधी रात 1.34 बजे हाइड्रोजन भी भरना शुरू हो गया था। अचानक तकनीकी खामी के चलते प्रक्रिया रोक दी गई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा भेजे गए मिशन चंद्रयान-1 को चंद्रमा पर पानी खोजने में मिली सफलता के 11 वर्ष बाद चंद्रयान-2 से भारत सहित पूरे विश्व को ढेरों उम्मीदें हैं, फिलहाल यह थम गई हैं।
राष्ट्रपति कोविंद प्रक्षेपण के वक्त थे मौजूद
चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण देखने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी थे। कोविंद रविवार शाम ही श्रीहरिकोटा पहुंच चुके थे। 5000 लोगों की दीर्घा में वैज्ञानिक, राजनीतिज्ञ, खगोल विशेषज्ञ, शोधकर्ता और विद्यार्थी भी थे।
बाहुबली में खराबी से रुका प्रक्षेपण
- अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक ए राजाराजन के अनुसार विभिन्न चरण में जीएसएलवी मार्क-3 के हिस्से चंद्रयान से अलग होते जाएंगे। यह कहां गिरेंगे, इसके लिए केंद्रीय मिशन कंट्रोल टीम निगरानी करती है व उन इम्पैक्ट लोकेशनों की सटीक जानकारी देती है।
- किसी हादसे को रोकने और रॉकेट के पाटर्स को अध्ययन के लिए वापस पाना आसान होता है। वहीं प्रक्षेपण से जुड़ा डाटा भी जमा किया जाता।
- पर बाहुबली में खराबी से प्रक्षेपण रोकना पड़ा।
अगर सफर शुरू होता तो…
- प्रक्षेपण: जुलाई 15 सुबह 02.51 बजे शुरू होना था। 451.91 मीटर प्रति सेकंड वेग के साथ।
- पृथ्वी के परिक्रमा पथ पर: जुलाई 15, करीब 02.58 मिनट पर पृथ्वी की सतह से 181 किमी ऊपर पहुंच कर।
- चंद्रमा का रुख: प्रक्षेपण के 17वें दिन करता।
- चंद्रमा के परिक्रमा पथ पर: 22वें दिन।
- चंद्रमा के निकट: 50वें दिन चंद्रमा की सतह से 100 किमी की दूरी पर लैंडर विक्रम की लैंडिंग का था कार्यक्रम।
- चंद्रयान-2 दुनिया का पहला ऐसा मिशन बन जाएगा जो चांद की दक्षिणी सतह पर उतरेगा। यह वह अंधेरा हिस्सा है जहां उतरने का किसी देश ने साहस नहीं किया है। इससे पहले 2008 में चंद्रयान-1 और 2013 में मार्स ऑर्बिटर मिशन को अंजाम दिया गया था। यह भारत का तीसरा मिशन है। जियोसिंक्रोनस लॉन्च व्हीकल मार्क 3 भारत में अब तक बना सबसे शक्तिशाली रॉकेट है। यह चंद्रयान-2 को चंद्रमा की कक्षा तक ले जाएगा।