कन्फर्म टिकट होने के बाद भी बुजुर्ग को शताब्दी में नहीं चढ़ने दिया, वजह जानकर शर्म से झुक जाएगी आपकी नजरे

उप्र के इटावा जंक्शन पर दुबली-पतली काठी वाले 72 वर्षीय बाबा रामअवध दास को कन्फर्म टिकट होने के बाद भी ट्रेन में इसलिए नहीं चढ़ने दिया गया क्योंकि वह जो धोती पहने थे, वही लपेटे भी थे। रबर की चप्पल पहने थे। कोच कंडक्टर और सिपाही ने उपहास कर अंग्रेजी हुकूमत का तीखा दर्द दोहरा दिया, जो रंग और पहनावे के आधार पर भारतीयों का दमन करता था। बाबा इस अपमान को रेलवे की शिकायत पुस्तिका में दर्ज कराकर बस से गंतव्य को रवाना हुए।

बाराबंकी स्थित मूसेपुर थुरतिया के बाबा रामअवध दास ने इटावा जंक्शन से गाजियाबाद के लिए गुरुवार को कानपुर से नई दिल्ली के मध्य चलने वाली रिवर्स शताब्दी एक्सप्रेस (12033) का टिकट ऑनलाइन बुक किया था। सी-2 कोच में 72 नंबर सीट कंफर्म थी, इसका उल्लेख आरक्षण चार्ट में भी है। ट्रेन सुबह 7.40 बजे इटावा आई तो वह निर्धारित कोच में चढ़ने लगे, तभी गेट पर मौजूद सिपाही ने उनको टोका। बताते हैं, इसी दौरान कोच कंडक्टर भी आ गया। उसने वृद्ध का हुलिया देख उनका उपहास उड़ाया। सिपाही के अभद्रता करने पर उन्होंने टिकट दिखाया लेकिन उनकी बात सुनी नहीं गई। दो मिनट होते ही 7.42 बजे ट्रेन चल दी, इससे वह ट्रेन में सवार नहीं हो पाए।

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नाराज बुजुर्ग स्टेशन मास्टर प्रिसराज यादव के पास पहुंचे। स्टेशन मास्टर ने उन्हें बैठाया और बात सुनकर शांत करने का प्रयास किया। मगध एक्सप्रेस से गाजियाबाद भिजवाने की बात कही पर वृद्ध नहीं माने। उन्होंने शिकायत पुस्तिका में अपनी बात दर्ज कराकर कहा कि इस अपमान ने आहत किया है, रेलमंत्री से इसकी शिकायत करूंगा। इसके बाद ट्रेन के बजाय बस से वह गाजियाबाद के लिए रवाना हुए।

भक्त के घर जा रहे थे गाजियाबाद बाबा राम अवधदास ने फोन पर जागरण को बताया कि वह बाराबंकी में रहते हैं और भक्तों के घर जाते रहते हैं। इटावा के इंद्रापुरम में एक भक्त के घर आए थे और यहां से उन्हें गाजियाबाद के विजय नगर निवासी भक्त के घर जाना था।

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