निर्जला एकादशी 2019: शुभ मुहूर्त में भक्तों ने गंगा में लगाई पावन डुबकी..!!!

आज ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इसे निर्जला एकादशी भी कहा जाता है। यह व्रत अन्य की अपेक्षा बेहद कठिन माना जाता है। इसका कारण ये है कि यह व्रत अगले दिन सूर्य उदय होने से पहले खोला जाता है और तब तक पानी का सेवन नहीं करना होता है।

पंडित विनय शंकर पांडेय के अनुसार यह व्रत निर्जल रहकर यानी बिना पानी पिए किया जाता है। इस बार गुरुवार और एकादशी का योग एक साथ होने से इसका महत्व बढ़ गया है। गुरुवार का कारक ग्रह गुरु है।

गुरु भाग्य का कारक है और जिन लोगों की कुंडली में गुरु अशुभ स्थिति में होता है, उन्हें भाग्य का साथ नहीं मिल पाता है। गुरुवार और एकादशी के योग होने के कारण आज भगवान विष्णु की पूजा की जाएगी।

 

 

जानिए पूजन की सही विधि…

– सुबह स्नान के बाद पीले वस्त्र पहनें। घर के मंदिर में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। गणेशजी को स्नान कराएं, वस्त्र पहनाएं, फूल, चावल चढ़ाएं। 
– इसके बाद भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को स्नान कराएं उनकी पूजा करें। पहले जल से स्नान  कराएं, फिर पंचामृत से और एक बार फिर जल से स्नान कराएं। 
– भगवान को वस्त्र, आभूषण, जनेऊ और पुष्पमाला पहनाएं। इत्र अर्पित करें। तिलक करें। धूप और दीप जलाएं। तुलसी दल अर्पित करें। 

– भगवान विष्णु की पूजा में काले तिल जरूर चढ़ाएं। काले तिल से बना भोग ही अर्पित करें। घी का दीपक जलाएं। पंच मिठाई अर्पित करें। आरती करें।

– आरती के बाद परिक्रमा करें। फिर भगवान विष्णुजी के मंत्र – ओम नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णु प्रचोदयात्, का जाप 108 बार करें। 

पानी भरकर सुराही, हाथ का पंखा, पेठा आदि देने की परंपरा
आज देशभर में निर्जला एकादशी का व्रत मनाया जा रहा है। इस मौके पर आज बड़ी संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार के घाटों में स्नान के लिए पहुंचे। शुभ मुहूर्त में उन्होंने पवित्र स्नान किया। इस बार निर्जला एकादशी व्रत गुरुवार को पड़ा है।

पंडित सुशांत राज के अनुसार निर्जला एकादशी में पानी भरकर सुराही, हाथ का पंखा, पेठा आदि देने की परंपरा है। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी व्रत व अनुष्ठान फलदायी होता है। इस दिन किए गए पूजन व दान पुण्य से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।

इस व्रत को करने से सारा पुण्य प्राप्त होता है
भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सभी एकादशी व्रत में निर्जला एकादशी सबसे कठिन माना गया है। यदि आप वर्षभर की 24 एकादशी का व्रत नहीं कर पाते हैं तो इस व्रत को करने मात्र से सारा पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।

कहा जाता है कि निर्जला एकादशी के दिन गंगा स्नान का भी महत्व होता है। गंगा स्नान कर भगवान विष्णु को खीर का भोग लगाना चाहिए। इससे घर में धनलाभ होता है। खीर के भोग में तुलसी का पत्ता रखकर भोग लगाएंगे तो इससे घर-परिवार में शांति बनी रहती है

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