World Day Against Child Labour : अभी तो हमको करनी हैं पढ़ाई, मत करवाओ हमसे कमाई.

 12 जून को पूरी दुनिया में बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है। बाल मजदूरी के खिलाफ जागरूकता फैलाने के मकसद से इस दिन की शुरुआत की गई थी लेकिन बाल मजदूरी को लेकर दुनिया में क्रांति आना अभी बाकी है। 

                                              ” बच्चों का जीवन नष्ट न करें,
                                                                बाल श्रम को खत्म करें.”

बाल मजदूरी से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो पूरी दुनिया में करीब 21 करोड़  80 लाख बालश्रमिक हैं जबकि भारत में यह आंकड़ा एक करोड़ 26 लाख 66 हजार के करीब है। विश्व बाल श्रम निषेध दिवस  की शुरुआत अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने 2002 में की थी।

                                                            बच्चे तो देश की होते हैं शान,
                                                                          इनसे मजदूरी करवाकर मत करो देश का अपमान.

 बाल श्रम निषेध अभियान का नजारा गुरुग्राम के एक सामूहिक प्रयास में देखने को मिला। इस विशेष दिन पर सामाजिक संस्था चेतना, कॉरपोरेट डिवाइस बुक ऑनलाइन सर्विस प्राइवेट लिमिटेड, स्थानीय पुलिस और लोगों के साथ मिलकर बादशाहपुर और जलवायु टावर के पास स्लम में रहने वाले 95 बच्चों को सरकारी स्कूल से जोड़ा। इनमें से 45 बच्चों के बैंक एकाउंट और आधार कार्ड भी बनवाए गए।  इस मौके पर चेतना के निदेशक संजय गुप्ता ने बताया कि हमारा मकसद सड़क पर जीवन बसर कर रहे बच्चों के लिए एक विशेष कार्यक्रम चलाना और उनका सर्वांगीण विकास करना है।  

                                                             बच्चों का जीवन नष्ट न करें,
                                                                                  बाल श्रम को खत्म करें.

संस्था ने गुरुग्राम में 120 हाशिये पर जीवन यापन कर रहे  7 से 16 साल के किशोरों की पहचान कर उन्हें इस अनूठे कार्यक्रम से जोड़ा इस अभियान के तहत उन बच्चों को  शिक्षा, सुरक्षा और सशक्त बनाने पर जोर दिया जाएगा। इन 120 बच्चों में से 95 बच्चों का एमसीडी और सरकारी स्कूलों में दाखिला कराया गया है।

इस दौरान संस्था की मदद से बच्चों को स्थानीय पुलिस अधिकारियों से भी मिलवाया गया और बच्चों के अंदर पुलिस के खिलाफ बनी खराब छवि को सुधारने की कोशिश की गई। इस मौके पर बच्चों को विजय से भी मिलवाया गया जो पहले सड़क पर ही रहता था।

एनजीओ से जुड़ने के बाद उसने पढ़ाई की और अब वह इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व कर रहा है। इस मौके पर डिवाइस बुक ऑनलाइन के अमित डे ने बताया कि यह एक अनोखा प्रोजेक्ट है और यह सफल होगा। उन्होंने कहा कि हम और कंपनियों तथा स्थानीय लोगों को भी इस कार्यक्रम से जुड़ने की अपील कर रहे हैं।  

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