अदालत ने रणबीर दंड संहिता के साथ, धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) 302 (हत्या)और 376डी (सामूहिक दुष्कर्म) के तहत आरोप तय किए। हेड कांस्टेबल तिलक राज और उप निरीक्षक आनंद दत्ता ने कथित रूप से सांझी राम से 4 लाख रुपये लिए और सबूत नष्ट कर दिए थे। किशोर आरोपी के खिलाफ मुकदमा शुरू होना अभी बाकी है, क्योंकि उसकी उम्र का निर्धारण करने वाली याचिका जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है
जम्मू के कठुआ में गांव रसाना की 8 साल की बच्ची 10 जनवरी 2018 को लापता हो गई थी। बच्ची को काफी तलाशने के बाद पिता ने 12 जनवरी को हीरानगर थाने में शिकायत दर्ज कराई। लापता होने के 7 दिनों बाद 17 जनवरी को जंगल में बच्ची की लाश क्षत-विक्षत हालत में मिली। बच्ची अपने परिवार के साथ रहती थी। खानाबदोश मुस्लिम समुदाय से थी। उस बकरवाल समुदाय से, जो कठुआ में अल्पसंख्यक है।
बच्ची के साथ हुई हैवानियत के विरोध में परिजनों ने प्रदर्शन किया और हाईवे जाम कर दिया। 18 जनवरी को एक आरोपी का सुराग लगा और उसे दबोच लिया गया। 22 जनवरी को पुलिस ने मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंप दी। इस बीच कुछ लोग आरोपियों के पक्ष में खड़े हो गए। जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (जम्मू) भी इस आंदोलन में शरीक हो गया। नतीजतन 9 अप्रैल को चार्जशीट दाखिल नहीं हो पाई। फिर क्राइम ब्रांच ने 10 अप्रैल को चार्जशीट दाखिल की।
वकीलों ने इसका विरोध करते हुए 11 अप्रैल और 12 अप्रैल को पूरे जम्मू-कश्मीर का बंद बुलाया और वे कठुआ जिला जेल के बाहर लगातार प्रदर्शन करते रहे। पीड़ित परिवार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला कठुआ से पठानकोट की सेशन कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया। कोर्ट में 15 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की गई थी और 8 जून 2018 को सात आरोपियों के खिलाफ दुष्कर्म और हत्या के आरोप तय किए थे।
केस में कुल 221 गवाह बनाए गए। ट्रायल 3 जून 2019 को पूरा हो गया था और 10 जून को आरोपी दोषी करार दे दिए गए। 55वें गवाह के रूप में पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर पेश हुए। 56वें गवाह के रूप में फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी के एक्सपर्ट को पेश किया गया। जब से केस की सुनवाई शुरू हुई, तब से अब तक सभी तारीखों पर सुनवाई की वीडियोग्राफी कराई गई है। सातों आरोपियों को कठुआ से गुरदासपुर की जेल में शिफ्ट कर दिया गया था।