ग्रामीण कामगरों के मुकाबले शहरी कामगर करते हैं ज्यादा मेहनत : रिपोर्ट

भारत में रोजगार की स्थिति काफी खराब है। कुछ दिन पहले PLFS की आई रिपोर्ट में सरकार ने मानी कि पिछले 45 सालों में बेरोजगारी की दर सबसे ज्यादा है। अल्पावधि श्रमबल सर्वेक्षण(पीएलएफएस) की रिपोर्ट यह खुलासा करती है कि जो रोजगार मे लगे हैं वो सप्ताह में लगभग 50 घंटे से भी ज्यादा काम करते हैं।

NSSO के अंतर्गत कराए इस सर्वे पर पहले से ही काफी विवाद हो रहा है। पिछले साल दिसंबर में इस रिपोर्ट के लीक होने का दावा किया गया था। सरकार द्वारा जारी यह रिपोर्ट दिसंबर में लीक हुई रिपोर्ट से लगभग मिलती जुलती है। सरकार पर रिपोर्ट जारी न करने का आरोप लग रहा था।

इस सर्वे में तीनों वर्गों के कामगरों से आंकड़ों जुटाए गए है –
1. स्वरोजगार
2. रोजाना वेतनभोगी
3. सामान्य कर्मचारी

 

इस सर्वे को जुलाई 2017 से जून 2018 के बीच कराया गया था। इस सर्वे में पता चलता है कि ग्रामीण क्षेत्र के कामगार लोग सप्ताह में 48 घंटे काम करते हैं। यह आंकड़ा शहरी क्षेत्रों में 56 घंटे तक पहुंच जाता है।

डाउन टू अर्थ के अनुसार इस आंकड़े को जुटाते समय कामगरों द्वारा काम किए गए घंटों और उससे आर्थिक तौर पर हुए लाभ को ध्यान में रखा गया है। इन तीनों वर्गों में शहरी क्षेत्रों में लगे कामगरों को ग्रामीण कामगरों के मुकाबले सप्ताह में ज्यादा घंटे काम करना पड़ता है।

इस रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार में लगे पुरुष सप्ताह में लगभग 50 से 51 घंटे काम करते हैं और महिलाएं 37 से 40 घंटे काम करती है।। वहीं शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा पुरुषों के बीच 58 से 59 घंटे और महिलाएं 41 से 42 घंटे काम करती है।

आर्थिक सहयोग और विकास संगठन(OECD) से जुड़े देशों के अनुसार सप्ताह में 40 घंटे काम करने को औसत माना गया है।

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