दिल्ली की राजनीति में नया ट्विस्ट ला सकती है दुष्यंत चौटाला की पार्टी…
नई दिल्ली। चुनाव प्रचार और राजनीतिक उठापटक के बीच लोकसभा चुनाव- 2019 अब जोर पकड़ता जा रहा है और सबकी निगाहें दिल्ली पर लगी हुई हैं, क्योंकि यहां की ज्यादातर सीटों पर जीत हासिल करने वाली राजनीतिक पार्टी केंद्र की सत्ता पर काबिज होती रही है। इस कड़ी में दुष्यंत चौटाला की जन नायक जनता पार्टी टिकट से वंचित भाजपा के नेताआें का सहारा बनने की तैयारी में है। साथ ही कांग्रेस व आम आदमी पार्टी (AAP) के उन नेताओं के लिए भी दरवाजे खुले रखेगी, जो चौधरी देवीलाल की नीतियों में आस्था रखते हुए पार्टी में आने के लिए आवेदन करेंगे।
पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि इससे दिल्ली में पार्टी को अपनी जड़ें मजबूत करने का मौका मिलेगा, जिससे अन्य दलों के नेताओं को भी चुनाव लड़ने के लिए एक मजबूत प्लेटफार्म मिल जाएगा। फिलहाल, पार्टी का फोकस आम आदमी पार्टी के साथ सम्मानजनक गठबंधन को लेकर है।
अगर AAP का गठबंधन कांग्रेस के साथ हुआ, तो एेसे में जजपा अकेले ही सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। जजपा के नेताआें को उम्मीद है कि कांग्रेस-AAP के गठबंधन की स्थिति में कांग्रेस व AAP के वह नेता जरूर चुनाव लड़ना चाहेंगे, जो लंबे समय से इसकी तैयारी कर रहे हैं। अगर उनकी सीट गठबंधन के लिए दूसरे दल को जाती है, तो वह जजपा से भी चुनाव लड़ सकते हैं।
इसका लाभ जजपा सहित संबंधित नेता को भी होगा। जजपा के नेता यह भी मानकर चल रहे हैं कि दिल्ली में भाजपा भी अपने कुछ उम्मीदवार बदलेगी। जिनके टिकट कटेंगे अगर वह जजपा से चुनाव लड़ना चाहेंगे तो उस पर भी विचार किया जा सकता है।
फिलहाल तो जजपा की रणनीति उत्तर पश्चिम दिल्ली व पश्चिम दिल्ली संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार उतारने की है, मगर अंदर खाने तैयारी अन्य लोकसभा क्षेत्रों को लेकर भी है। पश्चिमी व उत्तर पश्चिमी क्षेत्र हरियाणा से लगते हैं जिनमें चौ. देवीलाल के प्रति लोगों की आज भी आस्था है।
दूसरे, हरियाणा में जाट आंदोलन के चलते जाटों की नाराजगी को दिल्ली में भी भुनाने के लिए सांसद दुष्यंत चौटाला एवं दिग्विजय चौटाला तो मोर्चा संभालेंगे ही, अन्य जजपा नेता भी बाहरी दिल्ली के इलाकों में डेरा डालेंगे।
जजपा नेताओं को उम्मीद है कि हरियाणा में जाट आंदोलन को चौ. देवीलाल परिवार द्वारा समर्थन दिए जाने और भाजपा के पास अब डा.साहिब सिंह वर्मा जैसा मजबूत ग्रामीण पृष्ठभूमि का नेता न होने से दिल्ली देहात के जाटों का झुकाव जजपा की तरफ रहेगा। सज्जन कुमार के जेल जाने के बाद कांग्रेस भी जाट मतदाताआें के बीच असहाय ही नजर आ रही है।
जजपा के नेताओं को इस बार उम्मीद है कि जिस तरह से भाजपा ने अपने कुछ सांसदों का टिकट काटने का मन बना लिया है उसका लाभ जजपा को मिल सकता है। जिनका टिकट कटेगा उन्होंने क्षेत्र में अपनी पहचान तो बनाई है और काफी काम भी किए हैं। यह अलग बात है कि वह भाजपा की उस कसौटी पर खरा नहीं उतर पाएंगे जो टिकट के लिए निर्धारित की है। इनमें से कुछ ने जजपा के नेताओं से संपर्क भी किया है, मगर जजपा के यह नेता अभी AAP-कांग्रेस के गठबंधन और उसके बाद उम्मीदवारों की घोषणा के इंतजार में हैं।
जजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि हो सकता है कि जिस संसदीय क्षेत्र में भाजपा के नेता जजपा की टिकट मांग रहे हैं वहां कांग्रेस का उससे भी मजबूत नेता मिल जाए जो अपनी पार्टी से टिकट न मिलने की स्थिति में जजपा का दामन थाम ले।
चप्पल ज्यादा समझा आ रहा
चुनाव लड़ने के इच्छुक या खुद अपने परिजन को लड़ाने के इच्छुक भाजपा, कांग्रेस व AAP के कुछ नेताआें को जजपा का चुनाव निशान चप्पल ज्यादा रास आ रहा है। उन्हें लग रहा है कि जिस तरह से लोगों के दिलो दिमाग पर कुछ ही दिनों के अंदर आप की झाडू चढ़ गई थी उसी तरह से जजपा की चप्पल भी चढ़ सकती है।