पाक सरकार नहीं जुटा पाई विपक्ष का समर्थन, सैन्य अदालत का कार्यकाल हुआ खत्म

इस्लामाबाद: पाकिस्तान में आम नागरिकों पर आतंकवाद के आरोपों पर मुकदमा चलाने के लिये 2015 में गठित सैन्य अदालत का अस्तित्व खत्म हो गया है क्योंकि मौजूदा सरकार इसके कार्यकाल में विस्तार के लिये विपक्ष का समर्थन नहीं जुटा पायी. सोमवार को मीडिया में आयी खबर में यह जानकारी दी गयी. 16 दिसंबर 2014 को पेशावर के एक स्कूल पर हमले के कुछ हफ्ते बाद आतंकवादियों के खिलाफ त्वरित सुनवाई के लिये इस अदालत का गठन किया गया था.पाक सरकार नहीं जुटा पाई विपक्ष का समर्थन, सैन्य अदालत का कार्यकाल हुआ खत्म

इस हमले में 150 लोग मारे गये थे जिनमें अधिकतर छात्र थे. शुरू में अदालत को दो साल के लिये गठित किया गया था लेकिन बाद में इसका कार्यकाल 2017 तक बढ़ा दिया गया और फिर अगले दो साल के लिये भी इसके कार्यकाल में इजाफा किया गया था.

‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की खबर के अनुसार अदालत का अस्तित्व रविवार को खत्म हो गया क्योंकि उसके कार्यकाल में विस्तार के लिये सरकार विपक्ष का समर्थन नहीं जुटा पायी. सरकार सैन्य अदालत को दो साल का और मौका देना चाहती थी.

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री परवेज खटक ने निचले सदन को बताया था कि इन अदालतों द्वारा कुल 478 मामले निपटाये गये. उन्होंने कहा कि कुल 284 दोषियों को मौत की सजा सुनायी गयी.

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