रोचक और आश्चर्यजनक : जानें हिन्दू धर्म में नहाने के मज़ेदार तरीके और विकल्प
जी हाँ. आज आप को ये जान कर बेहद आनंद आएगा कि हिन्दू धर्म में नहाने के अनेक मज़ेदार तरीके और विकल्प भी मौजूद हैं. इन तरीकों को अपना कर आप अपना मनचाहा वर(दान) और लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं. आज इसी बारे में एक वरिष्ठ पत्रकार और विचारक के प्राक्कलन को यहाँ अंकित किया गया है.
कंकड़ स्नान:
इसके तहत केवल मुँह धोकर इनर वीयर बदलने के साथ ही बाकी शरीर पर पानी छिड़कने की व्यवस्था है।
ब्रह्म स्नान:
अर्थात परमात्मा का चिंतन करते हुए ब्रह्म मुहूर्त स्नान को ब्रह्म स्नान कहा गया है।
ऋषि स्नान :
ब्रह्म मुहूर्त में आकाश में तारे दिख रहे हों, उस वक्त के स्नान को ऋषि स्नान कहा गया है। मान्यता है कि ऋषि स्नान करने वालों की बुद्धि तेजस्वी होती है।
देव स्नान :
सूर्योदय से पूर्व देव स्मरण करते हुए नदी में स्नान करने को देव स्नान के रूप में मान्यता दी गई है।
मानव स्नान :
सूर्योदय के थोड़े समय पूर्व का स्नान मानव स्नान है।
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दानव स्नान :
सूर्योदय के पश्चात चाय-नाश्ता करने के बाद के स्नान को दानव स्नान कहा गया है।
ऋषि-मुनियों ने सलाह दी है कि हमें ब्रह्म स्नान, ऋषि स्नान करने का ही प्रयास करना चाहिए।
सात अन्य प्रकार के स्नान का भी उल्लेख शास्त्रों में है।
मंत्र स्नान : गुरुमंत्र जपते हुए अपने को शुद्ध बना लेना।
भौम स्नान : शरीर को पवित्र मिट्टी स्पर्श कराकर शुद्ध मान लेना।
अग्नि स्नान : मंत्र जपते हुए शरीर में भस्म लगा लेना।
वायव्य स्नान : गाय के चरणों की धूलि लगा लेना।
दिव्य स्नान : सूरज निकला हो, बरसात हो रही हो, उस समय खुले आसमान के नीचे स्नान करना।
वारुण स्नान : जल में डुबकी लगाकर नहाना।
मानसिक स्नान : ‘मैं आत्मा हूँ। चैतन्य हूँ। ॐ ॐ परमात्मने नम: ॐ ॐ ..’ इस प्रकार आत्म चिंतन करने को मानसिक स्नान कहा गया है।
दिनेश पाठक जी की फेसबुक वाल से साभार
नहाने के मज़ेदार तरीके