जेट एयरवेज की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। एतिहाद द्वारा कंपनी में निवेश करने की योजना को बैंकों ने लागू करने से मना कर दिया है। बैंकों ने एतिहाद से कहा है कि वो नए निवेश को लाने से पहले खुद कंपनी से बाहर हो जाए। इससे कंपनी की गिरती हालत को सुधारने से बचाने के लिए बनाई गई योजना खटाई में पड़ गई है। इस बीच जेट एयरवेज ने अबू धाबी जाने वाली अपनी सभी उड़ानों को रद्द कर दिया है।
2013 में बना था हब
2013 में एतिहाद ने जेट एयरवेज में 24 फीसदी की हिस्सेदारी खरीदी थी। उसके बाद से जेट एयरवेज के लिए अबू धाबी एक हब बन गया था। एतिहाद एयरवेज का मुख्यालय अबू धाबी में स्थित है। अब एतिहाद ने कहा है कि वो जेट से किनारा करने के लिए तैयार है और इसके लिए उसने 150 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से पैसा मांगा है।
लोगों को परेशानी
अबू धाबी की उड़ानें रद्द होने से जेट एयरवेज के लाखों यात्रियों को परेशानी होगी, जो यूरोप व अमेरिका में यात्रा करने के लिए पहले जेट से अबू धाबी और वहां से एतिहाद की फ्लाइट पकड़कर यात्रा करते थे।
750 करोड़ रुपये की जरूरत
जेट को मुश्किल हालात से बाहर निकालने के लिए 750 करोड़ रुपये की जरूरत है। भारतीय स्टेट बैंक ने बैंकों के कंशोर्सियम के साथ मिलकर यह पैसा निवेश करने की हामी भर दी थी। इस मदद से कंपनी अगले छह महीने उड़ान भर सकेगी। सार्वजनिक क्षेत्र के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने कहा है कि नकदी संकट से जूझ रही निजी क्षेत्र की एयरलाइन जेट एयरवेज को किसी तरह का आपात कोष देने का फैसला वह अकेला नहीं करेगा। इस पर निर्णय बैंकों द्वारा सामूहिक आधार पर किया जाएगा।
पायलटों ने लिखी सरकार को चिठ्ठी
धन की कमी से जूझ रहे जेट एयरवेज पायलटों के संघ ने सरकार को चिठ्ठी लिखकर अपने लंबित वेतन को ब्याज के साथ वसूलने में मदद मांगी है। जेट एयरवेज में वर्तमान में लगभग 1900 पायलट कार्यरत हैं।
जेट के पायलटों का प्रतिनिधित्व करने वाले नेशनल एविएटर्स गिल्ड (एनएजी) के श्रम और रोजगार मंत्री संतोष गंगवार को लिखे गए एक पत्र में कहा गया है कि वेतन के संबंध में जेट प्रबंधन से हमारी की गई अपील का कोई असर नहीं हुआ है।
संगठन के महासचिव के अनुसार, यह स्थिति हमारे सदस्यों में अत्यधिक तनाव और हताशा का कारण बन रही है, यह शायद ही कॉकपिट में पायलटों के लिए एक आदर्श स्थिति हो। मासिक ईएमआई, बच्चों के स्कूल और कॉलेजों की फीस, मेडिकल बिल के साथ अन्य कई तरह का भुगतान करना होता है।
केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार को लिखे पत्र में आग्रह किया गया है कि सदस्य पायलटों को वेतन का बकाया सभी भत्तों को मिलाकर ब्याज के साथ एरियर के रूप में भुगतान किया जाए। संगठन ने इस पत्र की एक कॉपी डीजीसीए के मुखिया बीएस भुल्लर को भी भेजा है।