महिला दिवस पर पेश है बॉलीवुड में सक्रिय महिलाओं के अलग-अलग विचार…

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर अगर इंडियन फिल्म इंडस्ट्री में काम कर रही महिलाओं की बात की जाए तो वो अपने बेफिक्रे और बेबाक अंदाज से समाज की बुराईयों से लड़ते हुए लोगों को संदेश दी रही हैं। मीटू आंदोलन ने जिस तरह देश में तूफान ला दिया और कई बड़े नाम वालों की करतूतें सामने आ गईं। इस बीच इस मूवमेंट की आलोचनाएं भी खूब हुईं। महिला दिवस पर पेश है बॉलीवुड में सक्रिय महिलाओं के विचार…महिला दिवस पर पेश है बॉलीवुड में सक्रिय महिलाओं के अलग-अलग विचार...

यौन अपराध की खुलकर खिलाफत होः अलंकृता श्रीवास्तव
‘लिप्स्टिक अंडर माई बुर्का’ फिल्म बना चुकीं डायरेक्टर अलंकृता श्रीवास्तव का कहना है कि स्क्रीन पर महिलाओं के लिए अब हर दिन जगह बढ़ती जा रही है। महिला कलाकारों, महिला निर्देशकों और महिला निर्माताओं की कोशिशें अब कामयाब होती जा रहीं जो अब बड़े पैमाने पर महिला प्रधान फिल्में बनने लगी हैं। इससे फिल्मों की गुणवत्ता में बड़ा बदलाव भी आ रहा है। मेरा संदेश उन महिलाओं के लिए है जो यौन अपराध झेलती हैं। उन्हें इसका मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए और खुलकर सामने आना चाहिए।

महिला होना एक आशीर्वाद और वरदान के समानः श्वेता त्रिपाठी
एक्ट्रेस श्वेता त्रिपाठी शर्मा कहती हैं कि एक महिला होना एक आशीर्वाद और वरदान के समान है। महिलाएं महाशक्ति हो सकती हैं। हम आमतौर पर केवल अपने ही बारे में सोचते हैं,जबकि अन्य महिलाओं के बारे में भी सोचना जरूरी है। मैं आज वो हूं जो मैं बनना चाहती थी।

हर महिला को अपने आप पर गर्व करना चाहिएः नीतू चंद्रा
एक्ट्रेस नीतू चंद्रा का कहना हैकि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर मेरा दुनिया की सभी महिलाओं से ये आग्रह है कभी भी अपने आप को किसी भी चीज से परेशान मत हों। एक महान और उज्ज्वल भविष्य के लिए खुद को हमेशा रिचार्ज करती रहें। खुद को प्रेरित महसूस करने के लिए अपने आप को आगे बढ़ाएं और जीवन में कभी हार मत मानो। मुझे एक महिला होने पर वास्तव में गर्व है और ऐसा इस दुनिया में हर महिला को अपने बारे में महसूस करना चाहिए।

बॉलीवुड में बढ़ेगी महिलाओं की सक्रियताः तुलसी कुमार
सिंगर तुलसी कुमार का कहना है कि पिछले कुछ सालों में इंडस्ट्री में बहुत कुछ बदल गया है। महिलाओं ने पुरानी सोच और मापदंडों को तोड़ दिया है। कामकाजी विवाहित महिलाओं के प्रति मानसिकता स्वागत योग्य हो गई है और सबसे अच्छी बात यह है कि महिला केंद्रित फिल्में और स्क्रिप्ट्स हैं। जिनपर नियमित रूप से काम हो रहा है। इंडस्ट्री में अब महिलाओं को केंद्र में रखते हुए गाने भी बनाए जा रहे हैं। मुझे यकीन है आने वाले समय में बॉलीवुड में महिलाओं की सक्रियता और बढ़ेगी।

उपेक्षित और तंगहाल महिलाओं के साथ खड़े होने का समय आया- पाखी ए टायरवाला
फिल्म डायरेक्टर और राइटर पाखी ए टायरवाला कहती हैं कि इस महिला दिवस का मतलब नारीवाद वास्तव में किस चीज के लिए खड़ा है इस पर है। सभी के लिए समानता सिर्फ महिलाओं के लिए नहीं है, बल्कि उनके लिए जो दबी हुई, उपेक्षित या तंग हैं। हम बदलाव लाने तक साथ खड़े हैं।

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