तीन तलाक से पहले मुसलमानों की ‘नसबंदी’, भाजपा सरकार का फैसला

दिसपुर। असम की बीजेपी सरकार जनसंख्या नियंत्रण के मद्देनजर एक विधेयक लाने की योजना बना रही है। अगर यह विधेयक अस्तित्व में आता है तो दो से अधिक बच्चे पैदा करने पर सरकारी नौकरी जाना तय होगा।
माना जा रहा है कि यह फैसला असम में बढ़ती मुस्लिम आबादी पर रोक लगाने के लिए किया जा रहा है। असम में सरकारी नौकरी के लिए वे लोग अयोग्य माने जाएंगे, जिन लोगों के दो से अधिक बच्चे होंगे। दो से अधिक बच्चों के पिता या माता स्थानीय स्तर पर चुनाव भी नहीं लड़ सकेंगे।
नॉर्थईस्ट टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक असम बीजेपी सरकार अपनी इस योजना को लाने की कोशिशें तेज कर दी हैं। जनसंख्या नियंत्रण संबंधी विधेयक का मसौदा विधानसभा में अगले साल मार्च में लाया जाएगा, जिसमें एक परिवार में दो बच्चों की सीमा तय की जाएगी।
वहीं, दो से ज्यादा बच्चों वाले उम्मीदवारों की नगरपालिका चुनावों के लिए उम्मीदवारी रद्द होगी।
बीते शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन में असम की बीजेपी सरकार में मंत्री हेमंत विश्व शर्मा ने कहा, “हम लंबे समय से एक नई जनसंख्या नीति लाने की योजना बनाते रहे हैं। इसके लिए सरकार ने एक कमेटी का गठन किया है, जो इस नीति की ड्राफ्टिंग कर रही है।”
शर्मा ने कहा “अगर कोई व्यक्ति असम सरकार की नौकरी चाहता है, तो उस व्यक्ति के दो बच्चों से अधिक नहीं होना चाहिए।
जब यह नीति लागू हो जाएगी, तब जो लोग सरकारी नौकरी में हैं। वे तीसरे बच्चे के लिए नहीं जा सकते। नौकरी पर रहने वाले कर्मचारी के दो से अधिक बच्चे होंगे तो उसकी नौकरी चली जाएगी। जिन कर्मचारियों के पहले से दो से अधिक बच्चे हैं, उन्हें नौकरी के मामले में रियायत दी जाएगी।”
गौरतलब है कि पिछले दिनों हेमन्त विश्व शर्मा ने कहा था कि असमिया लोगों को असम के 11 जिलों में मुस्लिम आबादी ने पीछे छोड़ दिया है। उन्होंने कहा था कि असम की बदलती जनसांख्यिकी स्थानीय लोगों के लिए खतरा है।
शर्मा ने बांग्लादेश से आ रहे शरणार्थी हिन्दुओं को भारत की नागरिकता देने की बात की थी, ताकि राज्य में हिन्दुओं की आबादी को बढ़ाया जा सके। इससे पहले शर्मा ने सभी मदरसों में शुक्रवार की बजाय रविवार को छुट्टी अनिवार्य कर दी थी।
जनसंख्या पर काबू पाने के लिए ऐसा ही नियम चीन में भी लागू था, जिसे बीते साल बदल दिया गया। चीन में बने इस नियम का असर ये हुआ कि वहां की बुजुर्ग आबादी बढ़ती गई, लेकिन युवा खेप नहीं आई। दुनिया में अपनी युवा शक्ति को खोता देख चीन ने आखिरकार बीते साल इस फैसले को वापस ले लिया।