कोटकपूरा में निहत्थे सिंहों पर गोली बरसाने के आरोपी निलंबित आईजी परमराज उमरानंगल से मिलने अकाली दल के छोटे नेताओं से लेकर पूर्व मंत्री तक जेल की चौखट पर जाते थे। जेल मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा द्वारा पटियाला जेल के सुपरिंटेंडेंट को सस्पेंड करने के बाद की प्राथमिक जांच में यह खुलासा हुआ। इसके मुताबिक अकाली दल के 24 नेता आईजी उमरानंगल से मिलने जेल गए थे।
बहिबल कलां व कोटकपूरा फायरिंग की जांच कर रही टीम अकाली दल के पूर्व संसदीय सचिव मनतार बराड़ के खिलाफ अपना घेरा पहले ही कस रही है जबकि इस कांड में शिअद सुप्रीमो सुखबीर बादल व पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल से पूछताछ कर चुकी है। बादल पिता-पुत्र साफ कह चुके हैं कि इस मामले में उनका कोई रोल नहीं है। अब अकाली दल के नेताओं का कतार बनाकर जेल में उमरानंगल से मिलने जाना साफ कर रहा है कि अकाली दल और उमरानंगल के बीच कितनी नजदीकियां थीं। खास बात यह भी है कि ये सभी मुलाकाती जेल के रजिस्टर में अपनी एंट्री दर्ज कराए बिना ही उमरानंगल से मिले थे।
उमरानंगल से मिलने पहुंचे ये अकाली नेता
उमरानंगल पटियाला जेल में बंद थे और उनसे मिलने जाने के लिए अकाली दल की लंबी चौड़ी फौज थी, जिनको नियमों का उल्लंघन कर मिलाया जाता था। सूत्रों के मुताबिक, 27 फरवरी को बादल परिवार का दाहिना हाथ माने जाने वाले पूर्व मंत्री सुरजीत सिंह रखड़ा और एसजीपीसी के पूर्व प्रधान और पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल के पूर्व सलाहकार किरपाल सिंह बंडूगर, सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा के बेटे विधायक हरिंदरपाल चंदूमाजरा और एसओई के प्रधान समेत 24 अकाली नेता निलंबित आईजी से मिलने पहुंचे थे। इनके अलावा एक मार्च को पूर्व डीआईजी हरिंदर सिंह चाहल, पूर्व एसएसपी प्रीतपाल सिंह विर्क, पूर्व इंस्पेक्टर शमशेर सिंह गुड्डू और पूर्व डीएसपी सरूप सिंह ने अलग-अलग समय उमरानंगल से मुलाकात की। इनके अलावा पूर्व एसपी गुरनाम सिंह मेहरा, पूर्व डीएसपी रछपाल सिंह हारा, आईजी कृष्णलाल शर्मा के नाम भी उमरानंगल के मुलाकाती के रूप में लिए जा रहे हैं।
उमरानंगल कमिश्नर लुधियाना के थे, फोर्स लेकर पहुंच गए कोटकपूरा
जिस समय कोटकपूरा फायरिंग की घटना हुई थी, उमरानंगल लुधियाना के पुलिस कमिश्नर थे। कोटकपूरा और बहिबल कलां उनके अधिकार क्षेत्र में भी नहीं थे लेकिन उमरानंगल अपने साथ लुधियाना से लंबी चौड़ी फौज लेकर कोटकपूरा पहुंचे और वहां पर प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाई थीं। चूंकि अकाली सरकार के दौरान उमरानंगल का सिक्का चलता था, इसलिए उनकी पीठ थपथपाई जाती रही और उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब पंजाब सरकार द्वारा मामले में जो एसआईटी गठित की गई, उसमें मोगा के तत्कालीन एसएसपी चरणजीत सिंह शर्मा की गिरफ्तारी हुई, जिसके बाद आईजी परमराज उमरानंगल का नाम सामने आया।
जस्टिस रणजीत सिंह आयोग ने उठाए थे सवाल
उल्लेखनीय है कि बेअदबी और उक्त गोलीकांड की जांच के लिए कैप्टन सरकार द्वारा गठित जस्टिस रणजीत सिंह आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कई आला पुलिस अफसरों के साथ-साथ तत्कालीन अकाली-भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री और तत्कालीन डीजीपी की भूमिका पर सवाल खड़े किए थे। इस रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार ने आगे जांच के लिए एसआईटी का गठन किया, जिसमें बादल पिता-पुत्र के अलावा कई अकाली नेताओं और पूर्व पुलिस अधिकारियों से अब तक पूछताछ की है। जैसे-जैसे एसआईटी की जांच आगे बढ़ रही है, पूर्व बादल सरकार की भूमिका लगातार संदेहास्पद होती जा रही है।
गरमाई राजनीति
वेरका बोले- उमरानंगल तो इशारे पर नाचने वाला खिलौना था
अकाली दल के शीर्ष नेतृत्व द्वारा कोटकपूरा कांड के आरोपी परमराज सिंह उमरानंगल से मिलने जाने का खुलासा होने पर पंजाब में राजनीति भी गरमा गई है। कांग्रेसी विधायक राजकुमार वेरका का कहना है कि सारी तस्वीर सामने है। अकाली दल की सरकार थी और गृह मंत्रालय भी अकाली दल के प्रधान के पास था। ऐसे में उस समय उमरानंगल के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई, अब इसका उत्तर जनता को मिल गया है उमरानंगल खुद एक खिलौना था, जिसको इशारे पर नचाया गया।
सुखबीर बादल के खिलाफ कार्रवाई करें कैप्टन: बैंस
लोक इंसाफ पार्टी के विधायक सिमरजीत सिंह बैंस का कहना है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह को सुखबीर बादल के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए, अब किस बात का इंतजार है। उमरानंगल अपने साथ असलहा लेकर निहत्थे सिंहों पर गोलियां चलाने लुुधियाना से गए थे, उनको सुखबीर बादल ने ही भेजा था और अब अकाली दल के नेता उमरानंगल से मिलने जा रहे है। अब किसी सबूत की जरूरत नहीं है।
जांच के लिए अफसर पटियाला जेल भेजे थे, जिन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा कि शनिवार को करीब 22 लोग दोपहर सवा 3 बजे से शाम सवा छह बजे तक जेल सुपरिंटेंडेंट के कमरे में बैठे हुए थे। इनमें कौन-कौन से लोग मौजूद थे, उनका पता लगाया जा रहा है। जांच करने वाले अफसरों की रिपोर्ट के आधार पर एक्शन लेते हुए जेल सुपरिंटेंडेंट को निलंबित कर दिया है और जांच का काम आईजी जेल को सौंप दिया है। इस मामले में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।