जमात पर पाबंदी के फैसले पर केंद्र करे पुनर्विचार: उमर अब्दुल्ला
पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र सरकार को जमात-ए-इस्लामी पर पाबंदी लगाने के फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। क्योंकि इस कदम से संगठन की गतिविधियां भूमिगत होने के अलावा कोई मकसद हल नहीं होगा।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में अशांति फैलने के बाद 1990 में पांच साल से अधिक समय के लिए संगठन पर प्रतिबंध लगाया गया था, लेकिन इस तरह की पाबंदी से कोई मकसद हल नहीं हुआ और कुछ हासिल नहीं हुआ।
उन्होंने कहा कि विचारों और सिद्धांतों की लड़ाई में नेकां में हमने हमेशा राजनीतिक जमीन पर जमात का विरोध किया है। उनके नेतृत्व, सदस्यों, स्कूलों और संपत्तियों पर हालिया कार्रवाई और प्रतिबंध से उनकी भूमिगत गतिविधियां बढ़ने के अतिरिक्त कोई हल नहीं निकलेगा।
उमर ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी के जमात से रिश्ते हमेशा असहज रहे हैं, लेकिन वह इसके नेताओं और कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई का समर्थन नहीं कर सकते।