संघर्ष के अंधेरों को चीरते हुए सफलता की रोशनी फैलाने वाले सितारों की बॉलीवुड में कमी नहीं है। लेकिन इंडस्ट्री के कुछ कलाकारों की कहानी इतनी ज्यादा इंट्रेस्टिंग है कि कोई भी उनसे जिंदगी का फलसफा सीख सकता है। जन्मदिन के इस खास मौके पर आज हम बात कर रहे हैं उस एक्टर, प्रेजेंटर, सिंगर की जिसके हर तरह के रंग हमने सिनेमा और टीवी के पर्दे पर देखे हैं। दर्शकों को पिछले कई सालों से हिंदी सिनेमा का ‘सुहाना सफर’ करा रहे अन्नू कपूर का आज 63वां जन्मदिन है। पढ़िए अन्नू के जीवन से जुड़े किस्से…
घुट्टी में मिली अभिनय कला
अपने हरफनमौला व्यक्तित्व के कारण लोकप्रिय हुए अन्नू का जन्म 20 फरवरी 1956 को मध्य प्रदेश के भोपाल शहर में हुआ था। अन्नू के पिता मदनलाल कपूर पंजाबी थे और उनकी माँ कमला बंगाली थी। उनके पिता एक पारसी थिएटर कम्पनी चलाते थे, जो शहर-शहर जा-जाकर गली नुक्कड़ पर परफॉर्म करती थी। उनकी मां एक कवियत्री और क्लासिकल नृत्य में पारंगत थीं। जिससे अन्नू के परिवार को नौटंकीवाला भी कहा जाता था। दादाजी डा.कृपा राम कपूर बिर्टिश आर्मी में डॉक्टर के पद पर कार्यरत थे। उनकी दादी गंगा राम कपूर एक भारतीय स्वतंत्र संग्राम सेनानी थीं।
जबर्दस्त याददाश्त
अन्नू कपूर की याददाश्त बेमिसाल हैं। उनके साथ काम करने वाले जानते हैं कि अन्नू कपूर के पास यादों का न सिर्फ खजाना है बल्कि अनमोल खजाना है। नौटंकी में किया गया हर किरदार उनको अब भी जुबानी याद है। खुसरो, कबीर, रूमी, रहीम आदि की हजारों रचनाएं अन्नू कपूर को जुबानी याद है। वह इनके दर्शन पर किसी के साथ भी घंटों बहस कर सकते हैं।
संगीत का विलक्षण ज्ञान
दूरदर्शन के चुनिंदा सबसे लोकप्रिय शो में शुमार फोकस्टार्स – माटी के लाल शो में अन्नू कपूर ने मशहूर लोक गायिका इला अरुण के साथ काम किया। शो की शुरूआत में दर्शक इला अरुण को ही लोक गीतों का ज्ञानी समझते रहे, लेकिन जैसे जैसे शो आगे बढ़ा दर्शकों को इस शो में अन्नू कपूर का एक अलग रंग ही देखने को मिला। अन्नू कपूर की देश के हर प्रांत और भाषा के लोक गीतों पर गजब की पकड़ है। सैकड़ों लोक गीत तो उन्हें जुबानी याद हैं।
अंताक्षरी से मिली टेलीविजन पर लोकप्रियता
अन्नू कपूर बॉलीवुड के उन कलाकारों में से एक हैं जो लीड रोल में ना होने बावजूद नोटिस किए जाते हैं। अन्नू जिस फिल्म में काम करते हैं वो हिट हो या फ्लॉप लेकिन उनका किरदार दमदार होता है। फिल्मों से अलग टीवी शो की बात करें तो जिस शो को अन्नू होस्ट करते हैं उसे सदाबहार बना देते हैं। अन्नू जब स्टेज पर खड़े होकर बोलते हैं तो हर कोई सम्मोहित हो जाता है। टीवी शो ‘अंताक्षरी’ उनके यादगार शो में से एक है।
23 साल की उम्र में 70 साल के बुड्ढे का रोल
अन्नू कपूर का एक नाटक को देखने के लिए फिल्ममेकर श्याम बेनेगल भी पहुंचे थे। उन्हें अन्नू की परफॉर्मेंस बहुत पसंद आई। उन्होंने अन्नू को तारीफों से भरा पत्र लिखा और मिलने के लिए बुलाया। अन्नू ने अपने करियर की शुरुआत श्याम बेनेगल की फिल्म ‘मंडी’ से की थी। इस फिल्म में अन्नू के रोल को काफी सराहा गया। एक थिएटर में प्ले के दौरान अन्नू कपूर ने 23 साल की उम्र में 70 साल के बुड्ढे का रोल निभाया था।
कमर्शियल फिल्मों के हिट कलाकार
अन्नू कपूर ने अपने फिल्मी करियर में एक से एक बेहतरीन किरदार किए हैं। सनी देओल की डेब्यू फिल्म बेताब में वह चेलाराम बने। अनिल कपूर की फिल्म मि. इंडिया में अखबार के संपादक गायतोंडे का किरदार सबको खूब पसंद आया। सुभाष घई की फिल्म राम लखन में शिव चरण माथुर और मुकुल आनंद की फिल्म हम में हवलदार अर्जुन सिंह के किरदार भी हिंदी सिनेमा के यादगार किरदारों में गिने जाते हैं। और जॉली एलएलबी 2 में उनके एडवोकेट प्रमोद माधुर के किरदार को कभी नहीं भुलाया जा सकता।
विकी डोनर में मिला राष्ट्रीय पुरस्कार
श्याम बेनेगल की फिल्म मंडी से लेकर एन चंद्रा की तेजाब तक अन्नू कपूर ने हिंदी सिनेमा में बेहतरीन काम किया है। तमाम दिग्गज निर्देशकों के साथ अन्नू कपूर ने एक से एक दमदार किरदार किए। लेकिन, अन्नू कपूर के साथ दिक्कत ये भी रही है कि तमाम बड़े निर्देशक एक बार उनके साथ काम करने के बाद दोबारा साथ काम करने से पहले दस बार सोचते हैं। हिंदी सिनेमा में अन्नू कपूर को जॉन अब्राह्म के प्रोडक्शन हाउस की फिल्म विकी डोनर से पुनर्जीवन मिला। 2012 में रिलीज हुई फिल्म विकी डोनर में डॉ. बलदेव चड्ढा के रोल के लिए अन्नू कपूर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।
परिवार के लिए लगाया चाय का स्टॉल
अन्नू ने अपनी पहचान सिंगिंग रियलिटी शो ‘अंताक्षरी’ से बनाई लेकिन इससे पहले उन्होंने लंबा संघर्ष किया। अन्नू कपूर का शो ‘सुहाना सफर’ काफी फेमस है। इस शो में अन्नू कपूर फिल्मी दुनिया की कुछ अनकही कहानियां सुनाते हैं। सभी फिल्मी सितारों के किस्से सुनाने वाले अन्नू कपूर की कहानी शायद किसी ने नहीं सुनी होगी। उन्होंने अपने परिवार की आर्थिक मदद के लिए चाय का स्टॉल लगाया। जब ये काम नहीं चला तो चूरन बेचा करते थे। इतना ही नहीं अन्नू लॉटरी टिकट भी बेचते थे। इसी बीच उन्होंने एक्टिंग सीखने के लिए दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एडमिशन ले लिया।
शो के सेट पर प्रेम और फिर शादी
अन्नू कपूर ने अपने करियर में तो खूब नाम कमाया। लेकिन उनकी शादीशुदा जिंदगी में कई ट्विस्ट आए। अन्नू की अपनी पहली पत्नी अनुपमा अमेरिका की रहने वाली थीं और उनसे 13 साल छोटी थीं। करीब 17 साल साथ रहने के बाद अन्नू और अनुपमा का तलाक हो गया था। साल 1995 में अंताक्षरी के सेट पर अन्नू की मुलाकात अरुनिता से हुई। एक-दूसरे को दोनों पसंद करने लगे और शादी कर ली। शादी के बाद अरुनिता को पता चला कि अन्नू कपूर शादीशुदा हैं। साल 2001 में दोनों के एक बेटी अराधिता भी हुई। बाद में अन्नू को फिर अनुपमा से प्रेम हो गया और अरुनिता से तलाक लेकर वह फिर अनुपमा के हो गए।
अन्नू कपूर की सबसे बड़ी कमजोरी गुस्सा
अन्नू कपूर को गुस्सा बहुत आता है। और, इस उम्र में भी वह गुस्से में हो तो आगा पीछा कुछ नहीं सोचते। दूरदर्शन के लिए बन रहे शो फोक स्टार्स- माटी के लाल के दौरान अन्नू कपूर ने शो के क्रिएटिव हेड को गुस्से में कुछ कह दिया तो क्रिएटिव हेड ने भी पलटकर जवाब दे दिया। इससे अन्नू कपूर का पारा इतना चढ़ा कि वह कपड़े उतार कर वैनिटी वैन में जा बैठे और शो करने से इंकार कर दिया। बाद में अन्नू कपूर को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने स्टूडियो में आकर सारे कलाकारों और तकनीशियनों के सामने क्रिएटिव हेड से माफी मांगी।