पंचांगः आज न करें चंद्रमा के दर्शन, वर्ना लग सकता है झूठा कलंक

1moon-55683b71b8837_l7 सितम्बर 2015 को गुरुवार है। इस दिन शुभ वि.सं.- 2072, संवत्सर नाम- कीलक, अयन- दक्षिण, शाके- 1937, हिजरी- 1436, मु. मास- जिलहिज-2, ऋतु- शरद्, मास- भाद्रपद, पक्ष- शुक्ल है।

शुभ तिथि

चतुर्थी रिक्ता संज्ञक तिथि रात्रि 10.21 तक, तदन्तर पंचमी पूर्णा संज्ञक तिथि प्रारम्भ हो जाएगी। चतुर्थी तिथि में वैसे शुभ व मांगलिक कार्य शुभ नहीं होते, पर गुरुवार को महागणपति चतुर्थी है। जो स्वयं सिद्ध अनबूझ मुहूर्त है।

इसमें सभी प्रकार के शुभ व मांगलिक कार्य, नवीन कार्यारम्भ, व्यापार व्यवसाय आरम्भ, वाहनादि क्रय करना, मशीनरी प्रारम्भ करना आदि कार्य शुभ व सफल सिद्ध होते हैं।

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पंचमी तिथि में यथा आवश्यक समस्त शुभ व मांगलिक कार्य करने योग्य हैं पर लेन-देन, उधारी वर्जित है। चतुर्थी तिथि में जन्मा जातक पंडित, विद्वान, बुद्धिमान, विशाल हृदय, दानी, परन्तु धन के पूर्णतः सुख के लिए चेष्टारत, पराक्रमी, मित्रों से मेलमिलाप बहुत रखने वाला और स्वादिष्ट भोजन व अच्छे पहनावे का शौकीन होता है।

नक्षत्र

स्वाति नक्षत्र रात्रि 1.32 तक, तदन्तर विशाखा, मिश्र व अधोमुख संज्ञक नक्षत्र रहेगा। स्वाति नक्षत्र में यथा-आवश्यक देवालय, मांगलिक कार्य विवाहादि, वस्त्रालंकार, वास्तु-बीजादि रोपण, युद्ध और शस्त्रादि सम्बंधी कार्य शुभ होते हैं।

विशाखा नक्षत्र में पदार्थ संग्रह, अलंकार, कारीगरी, चित्रकारी, शिल्प, प्रहार व औषध सेवन आदि कार्य करने चाहिए। स्वाति नक्षत्र में जन्मा जातक व्यापार-व्यवसाय में कुशल होशियार, समझदार, शीतल स्वभाव, सबका मित्र, आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न, ऐश्वर्यमय जीवन, समाज में माननीय तथा परोपकारी होता है। इनका भग्योदय लेभभग 30 से 36 वर्ष की आयु के मध्य होता है।

योग

ऐन्द्र नामक नैसर्गिक अशुभ योग सायं 6.22 तक, तदुपरान्त वैधृति नामक अत्यंत उपद्रवकारी योग रहेगा। वैधृति योग में समस्त शुभ व मांगलिक कार्य सर्वथा वर्जित हैं।

करण

वणिज नामकरण प्रातः 9.14 तक, इसके बाद रात्रि 10.21 तक भद्रा संज्ञक विष्टि करण रहेगा। भद्रा में शुभ कार्य वर्जित कहे गए हैं, पर भद्रा गणेशजी को बहुत प्रिय है। अतः भद्रा में गणेश पूजन का निषेध नहीं है।

चंद्रमा

संपूर्ण दिवारात्रि तुला राशि में रहेगा।

परिवर्तन

दोपहर 12.19 पर सूर्यदेव कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। कन्या की संक्रान्ति 15 मुहूर्ता होगी। पुण्यकाल सम्पूर्ण दिन है।

ग्रह मार्गी-वक्री

रात्रि 11.40 से बुध वक्री होगा।

व्रतोत्सव

गुरुवार को महागणपति चतुर्थी व्रत (स्वयंसिद्ध अबूझ मुहूर्त) कलंक चतुर्थी, चंद्र दर्शन निषेध, चंद्रास्त जयपुर में रात्रि 9.02 पर, मेला गणेशजी मोतीडूंगरी जयपुर (राज. में), गणेश जन्मोत्सव प्रारम्भ (महाराष्ट्र में), सौभाग्य चतुर्थी (बंगाल), जैन संवत्सरी (चतुर्थी पक्ष) तथा विश्वकर्मा पूजा। गणेश पूजन का श्रेष्ठ समय जानने के लिए – यहां क्लिक कीजिए

शुभ मुहूर्त

उक्त शुभाशुभ समय, तिथि, वार, नक्षत्र व योगानुसार गुरुवार को महागणपति चौथ के शुभ अवसर पर विपणि-व्यापारारम्भ, वाहन क्रय करना व मशीनरी चालू करने के यथा आवश्यक स्वाति नक्षत्र में शुभ मुहूर्त हैं।

वारकृत्य कार्य

गुरुवार को सामान्यतः सभी धार्मिक व मांगलिक कार्य, पूजा, पाठ, हवन, नवगृह पूजन, प्रतिष्ठा, विद्यारम्भ, वस्त्रालंकार धारण व निर्माण, वाहन क्रय करना और औषध-संग्रह व प्रयोग आदि कार्य सिद्ध होते हैं।

क्यों न देखें चंद्रमा

गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए। पौराणिक मान्यता के अनुसार, चंद्रमा को गणपति ने शाप दिया था। कहा जाता है कि जो इस दिन चंद्रमा के दर्शन करता है उसे किसी झूठे कलंक का सामना करना पड़ सकता है।

 

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