लालू ने मोदी से पूछे 12 सवाल, कहा जवाब का रहेगा इन्तजार

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद ने पटना में गुरुवार को एक प्रेस बयान जारी कर प्रधनमंत्री से लगातार एक दर्जन सवाल किए हैं तथा कहा है कि जनता को आपके जवाबों का इंतजार रहेगा। laalu

उन्होंने प्रधानमंत्री से पूछा है कि क्या 35 दिनों में जनता की समस्याओं का निदान कर देंगे? नहीं तो बताएं कि कितने दिन और जनता को तड़पाएंगे?

लालू ने प्रधनमंत्री से पूछा है कि आप विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधान सेवक हैं (जैसा कि आप हर जगह ढिंढोरा पीटते हैं)। आपने एक प्रधान सेवक रहते हुए जनता के बारे में बिना सोचे कैसे इतना बड़ा कदम उठा लिया और कैसे ये तुगलकी फरमान जनता पर थोप दिया?

उन्होंने कहा, “हमलोग भी काले धन के सख्त विरोधी हैं, परंतु इसके नाम पर आप पूंजीपतियों की गोद में बैठकर आम लोगों को परेशान नहीं कर सकते। जिनके पास सचमुच काला धन है, उनको दबोचने में प्रधानमंत्री क्यों हिचकिचा, सकुचा रहे हैं?”

लालू ने कहा कि एक पखवारे पूर्व अचानक देशवासियों को यह फरमान सुनाया गया कि चार घंटे बाद देश की 86 प्रतिशत मुद्रा सिर्फ कागज का टुकड़ा रह जाएगी। यह तुगलकी फरमान था, कहावत के रूप में भी, भावात्मक रूप में भी और वास्तविक रूप में भी।

उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति के एक निर्णय पर करोड़ों लोगों का जीवन टिका हो, क्या उसे बिना कुछ देखे, आवेश में आकर, मुख्यपृष्ठों पर छाने के लिए अनाप-शनाप निर्णय लेने का अधिकार है ?

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने प्रधानमंत्री से पूछा है, “आज देश का किसान त्राहिमाम कर रहा है। उसकी दोनों फसलें बर्बाद होने के कगार पर है। किसानों ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था? किसानों से किस बात का बदला लिया जा रहा है?”

उन्होंने कहा कि देश का किसान निर्धन सही, किन्तु निर्बल नहीं है। देश का किसान मोदी को माफ नहीं करेगा।

इसके आगे मोदी से सवालिया लहजे में लालू कहते हैं कि देश के भूखे, निर्धन, वंचित को सताने में प्रधानमंत्री को कौन सा नैसर्गिक सुख प्राप्त हो रहा है? नोटबंदी से जो हंगामा खड़ा किया गया है, उसके शोर शराबे में करोड़ों लोगों के भूख और पीड़ा से कराहने की आवाज दब रही है, पर समझ लो हमेशा नहीं दबेगी।

लालू ने कहा, “प्रधानमंत्री बताएं कि नोटबंदी के बाद एफडीआई का कितना बिलियन डॉलर देश के बाहर जा चुका है? इस कदम से भारतीय अर्थव्यवस्था में अव्यवस्था की छवि वाला जो नकारात्मक संदेश पूरे विश्व में गया है, उससे उबर पाने में कितने प्रगतिशील सालों की बलि चढ़ेगी ?”

राजद नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि रुपये की कमजोरी और बदतर हालात का जिम्मेवार कौन है? इस कदम से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दर जो गोते खाएगी, उसकी भरपाई में कितने वर्ष लगेंगे? विकास दर में गिरावट की जिम्मेवारी प्रधानमंत्री लेगा या बलि का बकरा ढूंढा जाएगा?

लालू ने प्रेस बयान में कहा है कि नोटबंदी के कारण अबतक 75 से अधिक लोग मर चुके हैं। इनकी हत्या का दोषी कौन है? प्रधानमंत्री बताएं कि पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिया जाएगा कि नहीं? प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि छोटे व्यापारियों को हुए नुकसान की भरपाई कौन करेगा? असंगठित क्षेत्र के लोगों को हुई असुविधा और नुकसान का हर्जाना कौन भरेगा?

लालू ने मोदी से प्रश्न किया, “प्रधानमंत्री के नोटबंदी के निर्णय में क्या मंत्रिपरिषद की सहमति थी? अगर सचमुच थी, तो इस निर्णय में कौन कौन लोग भागीदार थे। जनता जानना चाहती है कि उसकी इस दुर्दशा के लिए कौन-कौन जिम्मेदार हैं?”

उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर भी निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री से सवाल किया कि कहीं ऐसा तो नहीं, संघ के आदेश पर ही यह नोटबन्दी का स्वांग रचा गया? मोहन भागवत चुप क्यों हैं? मोदी सीमा निर्धारित करके बताएं कि उनके वादानुसार लोगों के खाते में 15-15 लाख रुपये कब जमा होंगे?

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