प्रिंस हैरी और मेगन मर्केल के नए घर का भारत से है बड़ा कनेक्शन


करीम को साल 1887 में महारानी ने विशेष प्रकार की मोहर भी दी थी। वह उसे अपना मुंशी कहा करती थीं। करीम की आयु उस वक्त महज 24 साल थी जब वह आगरा से इंग्लैंड गए। करीम को बेहतर काम करने के लिए तब कई तोहफों से नवाजा गया था, जिनमें से एक ये कॉटेज भी था।
महारानी खुद भी उस घर में गई थीं और करीम और उनकी पत्नी के साथ चाय पी। करीम ने घर को बहुत ही सुंदर तरीके से सझाया जिसमें यूरोपियन रॉयल्टी द्वारा उपहार में दी गई वस्तुएं भी शामिल हैं। यह बता श्रबानु बसु ने बताई है। वह ‘विक्टोरिया एंड अब्दुल: द एक्सट्राऑर्डिनरी ट्रू स्टोरी ऑफ क्वीन्स क्लोसेस्ट कॉन्फिडेंट’ नामक किताब की लेखिक हैं।
जब घर वापस ले लिया गया
इस कहानी में करीम के लिए बुरा वक्त तब आया जब महारानी विक्टोरिया की मौत हो गई। उनकी मौत के बाद नए राजा एडवर्ड किंग VII ने अपनी मां के करीम को लिखे सभी खतों को करीम के घर से जब्त करने के आदेश दिए। सभी खतों को उस कॉटेज के बाहर जलाया गया और करीम को वापस भारत लौटने को कहा गया। इस कहानी को ब्रिटेन समेत दुनियाभर के लोग जानते हैं। लेखिका का कहना है कि उन खतों को तो सम्राट ने खत्म कर दिया लेकिन वह करीम के इतिहास को नहीं मिटा पाए।