इस करवाचौथ पर सुहागिनों को पूजा के लिए मिलेगा सिर्फ कुछ ही मिनट, जानिए शुभ मुहूर्त
करवा चौथ का व्रत हर महिला के लिए बेहद खास होता है। इस दिन सभी महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। करवा चौथ नजदीक आते ही सुहागिन महिलाएं कुछ दिन पहले से तैयारी शुरू कर देती हैं। इसके लिए आप व्रत और पूजा को इस विधि से करेंगे तो आपके सुहाग की उम्र और भी लंबी होगी। इस बार करवा चौथ का व्रत 27 अक्तूबर को रखा जाएगा।यह व्रत सुबह सूर्योदय से पूर्व प्रात: 4 बजे प्रारंभ होकर रात में चंद्रमा दर्शन के बाद पूर्ण होता है। ज्योतिषाचार्य पंडित संतराम के अनुसार 05 बजकर 36 मिनट से 06 बजकर 53 मिनट तक पूजा का शुभ मुर्हूत है। वहीं चंद्र दर्शन का समय रात्रि 7 बजकर 55 मिनट पर होगा। ऐसे में सुहागिनें चांद को अर्घ्य देकर ही व्रत खोलें।
कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करकचतुर्थी या करवा-चौथ व्रत करने का विधान है। इस दिन गेहूं अथवा चावल के दानें हाथ में लेकर कथा सुननी चाहिए। बालू अथवा सफेद मिट्टी की वेदी पर शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा की मूर्तियों की स्थापना करें। यदि मूर्ति ना हो तो सुपारी पर धागा बांध कर उसकी पूजा की जाती है। इसके बाद अखंड सौभाग्य की कामना करते हुए देवी देवताओं का स्मरण करें और करवे सहित बायने(खाने) पर जल, चावल और गुड़ चढ़ायें।
रात में चंद्रमा उदय होने पर छलनी की ओट में चंद्रमा का दर्शन करके अर्घ्य देने के पश्चात व्रत खोलना शुभप्रद रहता है। वहीं व्रत रखने वाली स्त्री को काले और सफेद कपड़े पहनने से बचना चाहिए। इस दिन लाल और पीले रंग के कपड़े पहनना विशेष फलदायी होता है। इस दिन महिलाओं को चाहिए कि वे पूर्ण श्रृंगार करें और अच्छा भोजन खाएं। इस दिन पति की लंबी उम्र के साथ संतान सुख भी मिल सकता है।
मान्यताओं के अनुसार, सबसे पहले माता पार्वती ने यह व्रत शिवजी के लिए रखा था। इसके बाद ही उन्हें अखंड सौभाग्य प्राप्त किया था। इसलिए इस व्रत में भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा की जाती है। वहीं महाभारत में पांडवों की विजय के लिए द्रौपदी द्वारा भी इस व्रत को रखा गया था।