नोट बैन को लेकर बीजेपी की पोल खोलने वाला वीडियो हुआ वायरल…

जी हाँ!! नोट बैन को लेकर बीजेपी की पोल खोलने वाला वीडियो हुआ वायरल… 2014 में यूपीए सरकार ने 500 के पुराने नोट बंद किए थे, तब बीजेपी विपक्ष में थी और उसके बयान आज से बिल्कुल उलटे थे। सियासत में कुछ भी संभव है, जो बीजेपी आज 500 और 1000 के सभी नोटों को एकदम से बंद करने के पीएम मोदी के फैसले की तारीफ करती नहीं थक रही है और इस मसले को राष्ट्रहित में उठाया गया बहुत बड़ा फैसला करार दे रही है, उसी बीजेपी ने कांग्रेस के कार्यकाल में 500 के पुराने नोटों को बदलने के कदम का ही कड़ा विरोध किया था। आपको याद होगा कि जनवरी 2014 में यूपीए सरकार ने 2005 से पहले जारी हुए 500 के नोट बदलने का निर्णय लिया था और इसके लिए 31 मार्च तक का वक्त दिया था। उस वक्त भी यूपीए सरकार ने काले धन पर अंकुश लगाने का हवाला देते हुए नोटबंदी का फैसला किया था, लेकिन बीजेपी ने उसे गरीब विरोधी करार दिया था।

नोट बैन को लेकर बीजेपी की पोल खोलने वाला वीडियो हुआ वायरल…

2014 में बीजेपी की प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने तत्कालीन वित्त मंत्री के इस कदम की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि “500 के नोट को विमुद्रीकरण करने की वित्त मंत्री की नई चाल विदेशों में जमा काले धन को संरक्षण प्रदान करने की है…यह कदम पूरी तरह से गरीब-विरोधी है”। लेखी ने पी.चिदंबरम पर आम आदमी को परेशान करने की योजना बनाने का आरोप लगाया था, खास तौर पर उन लोगों को परेशान करने का जो अशिक्षित हैं और जिनके पास बैंक खाता नहीं है। उन्होंने कहा था कि देश की 65 फीसदी जनता के पास बैंक खाते नहीं है, ऐसे लोग नकद पैसे रखते हैं और पुराने नोट को बदलने से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।

मीनाक्षी लेखी ने हवाला दिया था कि ऐसे लोग जिनके पास छोटी बचत है, बैंक खाता नहीं है, उनकी जिंदगी प्रभावित होगी। वर्तमान योजना से कालेधन पर लगाम नहीं लगेगी। आज तीन साल बाद जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संदेश देकर 500 और 1000 रुपये के नोट पर बंदी लगा दी है और करोड़ों लोग बैंक में लंबी लाइन लगाकर नोट बदलाने का इंतजार कर रहे हैं, ऐसी स्थिति में बीजेपी ने मीनाक्षी लेखी की जगह बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को सरकार के बचाव में उतार दिया है। अमित शाह कह रहे हैं कि सरकार के निर्णय का विरोध करने वाली विपक्षी पार्टियां कालेधन का समर्थन करती हैं।

अमित शाह ने ये भी कहा कि वो कालाधन रखने वालों , नकली नोट, आतंकवादियों, हवाला कारोबारियों, नक्सलवादियों और ड्रग तस्करों का दर्द समझ सकते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें सबसे ज्यादा हैरानी इस बात से हुई कि इसमे कुछ राजनीति पार्टियां भी शामिल हैं। अब सवाल ये उठता है कि अगर ये कोरी सियासत नहीं है, तो बीजेपी उस वक्त कांग्रेस का विरोध क्यों कर रही थी? उस वक्त भी तो पुराने नोटों की बड़ी संख्या ऐसी थी जिनमें नकली नोट भी हो सकते थे, काला धन भी हो सकता था, ऐसे नोट नक्सलियों, आतंकवादियों, ड्रग तस्करों, हवाला कारोबारियों, टैक्स चोरों के पास रहे होंगे। अहम बात ये है कि सरकार को काले धन पर अगर अंकुश लगाना ही है तो उसे पहले बड़ी मछलियों पर हाथ डालना होगा, रिश्वतखोरों, बड़े टैक्स चोरों पर सर्जिकल स्टाइक पहले करनी होगी, क्योंकि ये काले धन को 1000 और 500 के नोटों की शक्ल में नहीं बल्कि डॉलर की शक्ल में विदेशों में रखते हैं, सोने-चांदी रूप में तिजोरी में रखते हैं और ऐसा काला धन जमीन-जायदाद के रूप में दिन-दूना रात चौगुना बढ़ता है।

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