सबसे बड़ा घोटाला: आईएल एंड एफएस पर काले धन को सफेद बनाने का हुआ संदेह

लगातार कई डिफॉल्ट से देश की वित्तीय व्यवस्था को हिला देने वाली कंपनी इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (आईएल एंड एफएस) पर काले धन को सफेद बनाने का संदेह जताया गया है। अगर इसमें सच्चाई का जरा भी अंश मिला, तो उसके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जांच कर सकती है। यह मामला नीरव मोदी, मेहुल चोकसी, ललित मोदी और विजय माल्या के घोटालों से भी बड़ा हो सकता है।
नौकरशाहों से थे घनिष्ठ संबंध
मामले पर नजर रखने वाले एक अन्य व्यक्ति का कहना है कि आईएल एंड एफएस का शासन के अहम पद पर बैठे कुछ नौकरशाहों से भी घनिष्ठ संबंध रहा है। बताया तो यह भी जा रहा है कि कंपनी की तरफ से कुछ अधिकारियों को नियमित रूप से बड़ी रकम दी जाती थी, वह भी बिना कंपनी में काम किए। ऐसा इसलिए, ताकि अधिकारियों का कंपनी पर रहम-ओ-करम बना रहे। हालांकि इस तथ्य की पुष्टि नहीं हो पा रही है।
राजमार्ग, बिजली परियोजनाओं ने डुबोया
सत्ता के गलियारों से ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि राजमार्ग और बिजली क्षेत्र आईएल एंड एफएस का काल बन गया। कंपनी ने जितनी रकम का वित्तपोषण किया है, उनमें से 60,000 करोड़ रुपये की रकम सिर्फ राजमार्ग, बिजली और पानी की परियोजनाओं पर खर्च हुए। राजमार्ग मंत्रालय के एक वरिष्ठ आधिकारिक सूत्र का कहना है कि इसने राजमार्ग की परियोजनाओं के लिए खुले हाथ से पैसे बहाए। कई मामलों में परियोजना की वित्तीय लागत बेहद बढ़ा-चढ़ा कर बताई गई और आईएल एंड एफएस ने बिना उसकी जांच-परख किए वित्तपोषण कर दिया।
रिपोर्ट चट कर गए दीमक
सरकार ने आईएल एंड एफएस मामले की जांच का जिम्मा धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) को सौंप दिया है। बताया जाता है कि इस मामले में सरकार ने 2009 के सत्यम घोटाले से जुड़ी रिपोर्ट तलब की है, लेकिन दुर्भाग्य की बात की यह रिपोर्ट मिल नहीं रही है। सूत्र बताते हैं कि रिपोर्ट दीमक चट कर गए हैं।