Har Chhath 2018 : हरछठ (हलषश्ठी) कब है, ये है व्रत, पूजा विधि कथा और महत्व

गोंडा. हिन्दू धर्म में उत्तर प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र में हरछठ (हलषश्ठी) का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। भारत के अन्य राज्यों में इस त्यौहार को अन्य कई नामों से जाना जाता है। गोंडा के रहने वाले ज्योतिषाचार्य ने बताया है कि शास्त्रों के अनुसार यह त्यौहार भगवान बलराम को समर्पित है जोकि श्रीकृष्ण के एक बड़े भाई हैं। हरछठ हलषश्ठी का पर्व भगवान बलराम की जयंती के रूप में मनाया जाता है और त्यौहार रक्षा बंधन और श्रवण पूर्णिमा के छह दिनों के बाद ही आता है। इस बार यह त्यौहार सितम्बर माह में एक तारीख को पड़ रहा हैं।
ऐसे की जाती है पूजा
ज्योतिषाचार्य ने बताया है कि हरछठ (हलषश्ठी) पर्व भारत में शहरी क्षेत्रों की तुलना में कृषि समुदायों या ग्रामीण इलाकों में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। हरछठ (हलषश्ठी) पर्व सभी महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान कर हरछठ की पूजा की तैयारी में लग जाती है। इस दिन सभी महिलाएं पूजा के समय भगवान बलराम के व्रत कथा सुनती है और अपने पति के लिए लम्बी आयु की मनोकामना करती है। इसके साथ ही पूरे बिना कुछ खाये पूरे दिन उपवास रखती हैं। इस व्रत के दौरान महिलाएं पूरे दिन फल या छोटा भोजन भी करने से बचती हैं।
शास्त्रों के अनुसार
बताया जाता है कि महाभारत में देवी उत्तरा ने अपने नर बच्चे के कल्याण के लिए भगवान कृष्ण की सलाह ली थी और अपने नष्ट गर्भ को ठीक करने के लिए हरछठ (हलषश्ठी) व्रत रखकर पूजा की थी। बस उसी समय से हिन्दू धर्म में हरछठ (हलषश्ठी) का पर्व पूरे भारत भर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। बता दें कि इस्कॉन मंदिर में, भगवान बलराम की जयंती श्रवण पूर्णिमा (रक्षा बंधन के उसी दिन) पर मनाई जाती है। ऐसे कई अन्य स्थान हैं जहां भगवान बलराम के भजन कीर्तन और कथा की पूजा मथुरा, वृंदावन, ब्रजभूमि और श्रीकृष्ण मंदिर जैसे की जाती है।
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हरछठ (हलषश्ठी) व्रत की विशेषताएं और महत्व
1. इस दिन हल पूजा का विशेष महत्व है।2. इस दिन गाय के दूध व दही का सेवन करना वर्जित माना गया है।3. इस दिन अन्न तथा फल खाने का विशेष महत्व है।4. इस दिन महुए की दातुन करना बहुत ही शुभ माना जाता है।5. यह व्रत पुत्रवती स्त्रियों को विशेष तौर पर करना चाहिए। 6. हरछठ के दिन दिनभर निर्जला व्रत रखने के बाद शाम को ही कुछ खाना चाहिए।

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