इन तरीके का होता है मलेरिया बुखार, जानिए लक्षण और बचाने के उपाए

मलेरिया बुखार एक संक्रामक रोग है। जो व्यक्ति को फीमेल मच्छर एनोफिलीज के काटने से होता है। इस मच्छर में एक विशेष प्रकार का जीवाणु पाया जाता है जिसे डॉक्टरी भाषा में प्लाज्मोडियम कहा जाता है। गौर करने वाली बात यह है कि इस मादा मच्छर में पाई जाने वाले जीवाणु की 5 जातियां होती हैं।मच्छर के काटने से प्लाज्मोडियम नामक जीवाणु शरीर में चला जाता है और वह रोगी के शरीर में कई गुना वृद्धि (मल्टीप्लाई) करता है। यह जीवाणु लिवर और रक्त कोशिकाओं को संक्रमित करकेरोगी को बीमार करता है। समय पर इलाज न होने की स्थिति में यह मर्ज जानलेवा हो सकता है। बुखार, पसीना आना, शरीर में दर्द और उल्टी आना इस रोग के लक्षण हैं। अपने आस-पास गंदगी और पानी इकठ्ठा न होने देने पर इस मच्छर को पनपने से रोका जा सकता है।

मलेरिया के प्रकार-
-प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम (P. Falciparum)
इससे पीड़ित व्यक्ति को मालूम ही नहीं चलता है की वो क्या बोल रहा है। इसमें रोगी को बहुत तेज ठंड लगती है। इसके साथ-साथ उसके सिर में दर्द के साथ उसे उल्टियां भी होती रहती हैं। खास बात यह है कि इस बुखार में व्यक्ति की जान भी जा सकती है।

सोडियम विवैक्स (P. Vivax):
अधिकतर लोग इस तरह के मलेरिया बुखार से पीड़ित होते हैं। विवैक्स परजीवी ज्यादातर दिन के समय आता है। यह बिनाइन टर्शियन मलेरिया उत्पन्न करता है जो प्रत्येक तीसरे दिन अर्थात 48 घंटों के बाद अपना असर दिखाता है। इस बीमारी में कमर, सिर, हाथ, पैरों में दर्द, भूख ना लगना, कंपकपी के साथ तेज बुखार का आना आदि लक्षण देखे जाते हैं।

प्लाज्मोडियम ओवेल मलेरिया (P. Ovale):
यह भी बिनाइन टर्शियन मलेरिया उत्पन्न करता है।

प्लास्मोडियम मलेरिये (P. malariae):
प्लास्मोडियम मलेरिया एक प्रकार का प्रोटोजोआ है, जो बेनाइन मलेरिया के लिये जिम्मेदार होता है। यह पूरे संसार में पाया जाता है। यह मलेरिया उतना खतरनाक नहीं होता है जितना प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम (Plasmodium falciparum) तथा प्लास्मोडियम विवैक्स होते हैं। यह क्वार्टन मलेरिया उत्पन्न करता है, जिसमें मरीज को हर चौथे दिन बुखार आता रहता है।जब किसी व्यक्ति को ये रोग होता है तो उसके यूरिन से प्रोटीन निकलने लगते हैं। जिसकी वजह से शरीर में प्रोटीन की कमी हो जाती है और शरीर में सूजन आने लगती है।

प्लास्मोडियम नोलेसी ( P. knowlesi):
यह आमतौर पर दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाने वाला एक प्राइमेट मलेरिया परजीवी है। इस मलेरिया से पीड़ित रोगी को ठंड लगकर बुखार आता है। जिसेक बाद सिर में दर्द, भूख ना लगना आदि समस्याएं होने लगती हैं।
मलेरिया में क्या खांए-

– मलेरिया के रोगी को सेब खिलाएं, यह मलेरिया में फायदा करता है।
– पीपल का चूर्ण बनाकर शहद मिलाकर सेवन करने से मलेरिया के बुखार में लाभ होता है।
– दाल-चावल की खिचड़ी, दलिया, साबूदाना का सेवन करें। ये पचने में आसान होते हैं और पोष्टिक भी होते हैं।
– नीबू को काटकर उस पर काली मिर्च का चूर्ण व सेंधा नमक डालकर चूसें, स्वाद ठीक होगा और फायदा भी पहुंचेगा।
– मलेरिया ज्वर में अमरूद खाने से रोगी को लाभ होता है।
– तुलसी के पत्ते व काली मिर्च को पानी में उबालकर, छानकर पिएं।

मलेरिया में क्या न खांए-

– ठंडा पानी बिल्कुल न पियें और ना ही ठंडे पानी से नहाएं।
– रोगी को आम, अनार, लीची, अनन्नास, संतरा आदि नहीं खाने चाहिए।
– एसी में ज्यादा न रहें और न ही रात को एसी में सोएं।
– दही, शिकंजी, गाजर, मूली आदि न खाएं।
– मिर्च-मसाले व अम्ल रस से बने खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।

सावधानियां-
-मच्छरों को पनपने से रोकें। इसके लिए अपने आसपास सफाई का ध्यान रखें। मच्छर ठहरे हुए पानी में पनपते हैं। इसलिए बारिश के पहले ही नालियों की सफाई करवाएं और गड्ढे आदि भरवाएं। पीने के लिए भी उसी पानी का उपयोग करें जिसे ढककर रखा गया हो।
-घर के हर कोने पर समय-समय पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करवाते रहें। इतना ही नहीं अगर आपके घर में पौधे लगे हुए हैं तो उन पर भी कीटनाशक का छिड़काव करवाते रहें।
– बारिश के दिनों में मच्छरों से बचने के लिए पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें। जैसे पूरी बाजू का कुर्ता और पायजामा आदि।
-मच्छर भगाने वाली क्रीम और स्प्रे का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।

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