जब रजनीकांत को भिखारी समझ इस महिला ने दिया ये सब, सुनकर पूरी दुनिया को नही हुआ यकीन
बात करीब 10 साल पहले की है जब सुपरस्टार रजनीकांत की फिल्म ‘शिवाजी-दि बॉस’ रिलीज़ हुई थी. फिल्म बेहद सफल रही थी और इसलिए अन्य फ़िल्मी सितारों की तरह रजनीकांत ने भी फिल्म की सफलता की ख़ुशी मनाने का सोचा.
अब अलग अलग लोगों की अलग अलग सोच होती है. कुछ सितारे फिल्म हिट होने पर सक्सेस पार्टी मनाते हैं तो कुछ ईश्वर का धन्यवाद करने मंदिर जाते हैं. रजनीकांत ने मंदिर जाकर भगवान का धन्यवाद करने की योजना बनाई. लेकिन उस दिन मंदिर में उनके साथ जो हुआ वह उनके लिए ज़िन्दगी भर के लिए यादगार बन गया.
दरअसल जब रजनीकांत ने अपने साथियों से मंदिर जाने की बात कही तो उनकी टीम ने उन्हें समझाया कि इससे सुरक्षा सम्बन्धी परेशानी हो सकती है. उन्हें देखने के लिए लोगों की भीड़ इकट्ठी हो सकती है जो सुरक्षा के लिहाज़ से ठीक नहीं है. लेकिन रजनीकांत मंदिर जाने का तय कर चुके थे.
तब उनके सुरक्षा अधिकारियों ने सुझाव दिया कि रजनीकांत मंदिर जा सकते हैं लेकिन अपने असली रूप में नहीं. उन्हें भेस बदलकर जाना होगा. तय हुआ कि रजनीकांत को वहां साधारण कपड़ों में बिना किसी तामझाम के एक बूढ़े आदमी के गेटअप में भेजा जाए ताकि वहां उन्हें कोई पहचान भी ना सके और उनकी इच्छा भी पूरी हो जाए.
रजनीकांत ने बूढ़े आदमी का भेस धरा और मंदिर पहुँच गए. जब वह मंदिर की सीढियां चढ़ रहे थे तो उनके साथ एक महिला भी सीढियां चढ़ रही थी. एक तो रजनीकांत का गेटअप बेहद सहज स्वाभाविक था और ऊपर से वे गज़ब के अभिनेता तो हैं ही, सो साथ में सीढियां चढ़ रही महिला ने सोचा कि यह कोई बूढ़ा भिखारी है. उसे दया आई और उसने 10 रुपये का नोट निकाल कर रजनीकांत के हाथ में थमा दिया. रजनीकांत ने भी चुपचाप वह नोट रख लिया.
सीढियां चढ़ने के बाद जब रजनीकांत और वह महिला भगवान के सामने दर्शन करने पहुंचे तो रजनीकांत ने जेब से पर्स निकाला और उसमें जितने भी पैसे थे, सब भगवान को अर्पण कर दिए. पास ही खड़ी महिला ने यह देखा तो वह दंग रह गयी. अब उसे शक हुआ कि यह भिखारी नहीं कोई और है. उसने गौर से देखा तो वह पहचान गई कि ये तो रजनीकांत हैं.
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तब तक रजनीकांत दर्शन करके बाहर निकल चुके थे. वह महिला उनके पीछे पीछे भागी और पास आकर माफ़ी मांगने लगी. महिला ने कहा कि उससे भूल हो गई, वे उसके 10 रुपये वापस कर दें.
लेकिन रजनीकांत ने उसके दस रुपये वापस नहीं किये और बोले कि आपके ये 10 रुपये मेरे लिए भगवान के आशीर्वाद के समान हैं और भगवान का आशीर्वाद वापस नहीं किया जाता. आप इसी तरह हमेशा अपना प्यार और स्नेह बनाए रखें.
इस मनोरंजक घटना का जिक्र रजनीकांत की बायोग्राफी ‘The Name is Rajinikanth’ में किया गया है.