आखिर क्यों मंगलसूत्र में सिर्फ काले और पीले मोती ही होते हैं…?

विवाहित महिला के गले में अक्सर मंगलसूत्र देखा जाता है जिसमें एक पैंडेंट होता है और उसमे कई तरह के मोती होते हैं. वो मोती सिर्फ सजाने के लिए नहीं बल्कि उनके महत्व भी होते हैं. जी हाँ, आज हम उसी के बारे में बताने जा रहे हैं कि मंगलसूत्र में काले और पीले रंग के मोती क्यों होते हैं और क्या अर्थ होता है उनका अपने जीवन में. आइये जानते हैं हर मोती का महत्व.आखिर क्यों मंगलसूत्र में सिर्फ काले और पीले मोती ही होते हैं...?

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सोना गुरू के प्रभाव में होता है. गुरू गृह को वैवाहिक जीवन में खुशहाली, संपत्ति एवं ज्ञान का कारक माना जाता है. इसके अलावा ये धर्म का कर्क भी है. वहीं बात करें काळा मोती की तो काला रंग शनि का प्रतीक माना जाता है. शनि स्थायित्व एवं निष्ठा का कारक ग्रह होता है. गुरू और शनि के बीच सम संबंध होते हैं जिसके चलते मंगलसूत्र वैवाहिक जीवन में सुख एवं शांति को बनाये रखता है.

इतना ही नहीं, मंगलसत्र में काले रंग के मोतियों की लड़ियाँ, मोर एवं लॉकेट की उपस्थिति अनिवार्य मानी गई है. इसके पीछे कारण ये है कि पेंडंट स्त्री के सुहाग की रक्षा करता है, मोर पति के प्रति श्रद्धा और प्रेम बढ़ाता है और काले रंग के मोती बुरी नजर से बचाते हैं. मंगलसूत्र का खोना या टूटना अपशकुन माना जाता है इसलिए हर महिला इसे इसकी रक्षा करती है और खुद से कभी अलग नहीं करती. अधिकांश महिलाएं सोने के मंगलसूत्र पहनना पसंद करती हैं. सोना शरीर में बल बढ़ाने वाली धातु है जो समृद्धि का भी प्रतीक है. 

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