भगवान जगन्नाथ की अधूरी मूर्ति का राज़ जान कर हो जायेंगे हैरान

कहा जाता है की भगवान जगन्नाथ धाम जगन्नाथपुरी में भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और सुभद्रा के साक्षात् रूप निवास करते है. पुरी में होने वाली रथ यात्रा का भी अपना महत्व है. लेकिन इस मंदिर में स्थित मूर्तियाँ आज भी अधूरी सी लगती है इसके पीछे भी एक कहानी है. इस कहानी का सम्बन्ध श्रीकृष्ण लीला से है, कहा जाता है की भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और अपनी पत्नियों के साथ रूप बदल कर माता यशोदा से कृष्णा लीला सुन रहे थे. तभी वहां नारद जी का आगमन हुआ, जब नारद जी को ये बात पता चली की श्रीकृष्ण रूप बदल कर कृष्णा लीला सुनते है तो उन्होंने श्रीकृष्ण से आग्रह किया की वे अपने इस रूप से भक्तो को रूबरू कराये.
राजा को भगवान जगन्नाथ मंदिर निर्माण का आदेश दिया
भगवान श्रीकृष्ण ने नारद जी के इस आग्रह को स्वीकार कर लिया और एक राजा को मंदिर निर्माण का आदेश दिया. वो राजा मंदिर निर्माण के लिए कुशल कारीगर की तलाश कर ही रहा था तभी एक वृद्ध ब्राह्मण ने राजा से आग्रह किया की मदिर निर्माण का कार्य उसे दिया जाये. राजा ने उस ब्राह्मण की बात मान ली.
ब्राह्मण ने भगवान जगन्नाथ की मूर्ति निर्माण के लिए राजा के सामने एक शर्त रखी की मूर्ति का निर्माण वह एक बंद कमरे में करेगा और एक ही रात में करेगा यदि उस बीच कोई कमरे में आया तो वह काम वही बंद कर देगा. राजा ने उसकी शर्त मान ली और एक कमरे में बंद कर दिया. कुछ देर तक कमरे से काम करने की आवाज़े आती रही पर कुछ समय बाद वो बंद हो गयी. राजा ने सोचा कही ब्राह्मण को कुछ हो तो नहीं गया. राजा ने जैसे ही ब्राह्मण की कुशलता देखने के लिए दरवाज़ा खोला ब्राह्मण उस अधूरी मूर्ति को छोड़कर गायब हो गया.
दरअसल वो ब्राह्मण विश्वकर्मा जी थे जो अपना हर कार्य एक रात में ही समाप्त करते थे. देवता ये नहीं चाहते थे की भगवान के उस रूप के दर्शन कोई और करे इसलिए उन्होंने विश्वकर्मा जी को ब्राह्मण के रूप में राजा से मिलने भेजा जिसके कारण आज तक Jagannath Puri में भगवान की मूर्ति अधूरी है.