सरकार के विरोध में पड़े मात्र इतने वोट, फेल हुआ सोनिया गांधी का प्लान!!

जब अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस स्वीकार किया गया था तब सोनिया गांधी ने कहा था कि कोई भ्रम में ना रहे कि कांग्रेस के पास नंबर नहीं है. लेकिन जब वोटिंग हुई तो अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में उम्मीद से भी कम वोट गिरे. बड़ा सवाल ये है कि सोनिया गांधी का गणित कहां गड़बड़ा गया?

ये क्या हुआ? कहां फेल हो गया सोनिया गांधी का गणित? बुधवार को मॉनसून सत्र के पहले दिन जब मोदी सरकार के खिलाफ टीडीपी सांसदों की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को लोकसभा अध्यक्ष ने मंजूरी दी थी तब यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बड़े यकीन के साथ कहा था कि कौन कहता है कि हमारे पास संख्या बल नहीं है?

चूंकि सोनिया गांधी ने नंबर का भरोसा जताया था लिहाजा पार्टी प्रवक्ताओं का मजबूरी थी वो भी इस यकीन के भागीदारी बनें लेकिन कल जब लोकसभा में वोटिंग हुई तो सारा सस्पेंस खत्म हो गया. अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले कांग्रेस के पास 147 सांसद थे लेकिन अविश्वास प्रस्ताव में वोट सिर्फ 126 ही मिल पाया, यानी उम्मीद से 21 कम. आखिर किसने कांग्रेस को गच्चा दे दिया.

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विपक्ष के आंकड़ों के मुताबिक कांग्रेस के 47 सांसदों ने वोट डाला, मध्य प्रदेश में होने की वजह से कमलनाथ वोट नहीं डाल पाए.

टीएमसी के 33

टीडीपी के 16

लेफ्ट के 10

एनसीपी के 7

समाजवादी पार्टी के 7

आरजेडी के 3

आम आदमी पार्टी के 3

एआईडूयूएफ के 3

आईएनएलडी के 2

आरएलडी के 1

आईएमआईएम 1

लेकिन इस हिसाब से 133 वोट मिलना चाहिए था. ऐसे में सात वोट कहां गायब हुए इसका हिसाब नहीं मिल रहा. जाहिर है कांग्रेस वोटों के गणित को मैनेज करने में नाकाम रही, यानी उसके पास जितने वोट थे वो भी वो हासिल नहीं कर पाई जबकि मोदी अपने खाते से वोट पा गए. कांग्रेस की नाकामी इस फ्रंट पर भी रही वो उन दलों को नहीं मना पाई जो वोटिंग से बाहर रह गए.

 

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