GST की वजह से जम्मू-कश्मीर से हैंडीक्राफ्ट निर्यात में आई भारी गिरावट

जम्मू-कश्मीर के हैंडीक्राफ्ट की परदेस में धूम है, लेकिन जीएसटी ने इसे करीब 60 करोड़ का झटका लगा दिया है। आर्डर की कॉल होने के बावजूद रजिस्ट्रेशन नंबर न होने से हैंडीक्राफ्ट उत्पादों को बाहर भेजे जाने के आंकड़ों में कमी आई है। इस वजह से इस साल हैंडीक्राफ्ट का एक्सपोर्ट बीते साल के मुकाबले गिर गया है। 2016-17 में कुल एक्सपोर्ट 1,151.12 करोड़ रुपये का था, जो इस बार 1,090 करोड़ रुपये का रह गया है।

बीते साल एक्सपोर्ट में करीब 92 करोड़ रुपये का इजाफा दर्ज किया गया था। 2015-16 में 1,059.41 करोड़ से उछाल लेकर यह  2016-17 में 1,151.12 करोड़ पर पहुंचा था। इससे पहले 2014 में आई बाढ़ की वजह से कारीगरों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया था। उस वक्त यह कारोबार 1,600 करोड़ रुपये का था, जिसमें करीब पांच सौ करोड़ की गिरावट दर्ज की गई थी।

जीएसटी की वजह से दिक्कतें

सहायक निदेशक, हैंडीक्राफ्ट (एक्सपोर्ट), मुश्ताक अहमद शाह ने कहा कि जीएसटी की वजह से दिक्कत झेलनी पड़ रही है। बहुत सी कंपनियां व कारीगर हैं, जिनका अभी रजिस्ट्रेशन नहीं है। ऐसे में बाहर समुचित तरीके से माल भिजवाना संभव नहीं हो पा रहा।

कई नए देशों से मिले थे ग्राहक

बीते साल कई नए देशों ने जम्मू-कश्मीर के हैंडीक्राफ्ट में रुचि दिखाई थी। इसमें कुशन, कालीन समेत पेपर मैशे के उत्पाद भी शामिल थे। स्विट्जरलैंड, इंगलैंड, दुबई सभी जगह के लिए हैंडीक्राफ्ट का बेहतरीन एक्सपोर्ट कारोबार रहा। इस बार भी आर्डर की कॉल कम नहीं, लेकिन दिक्कत यह कि रजिस्ट्रेशन नंबर न होने से कारोबार नहीं हो पा रहा।
सबसे ज्यादा डिमांड कारपेट की
सबसे ज्यादा डिमांड कारपेट की रहती है। करीब साढ़े तीन सौ करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट इसी का है। इसके बाद शाल, पेपर मैशे और वुड कार्विंग का स्थान आता है। कापर वेयर और सिल्वर वेयर का भी एक्सपोर्ट होता है।

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