ट्रंप के राष्ट्रपति बनते ही भारत हो जायेगा मालामाल…. जाने क्यों और कैसे?

नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डॉनल्ड ट्रंप ने भारत समेत कई देशों में रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश किया है। ट्रंप ने भारत के पुणे और गुड़गांव में रियल एस्टेट प्रॉजेक्ट्स में निवेश किया है…

ट्रंप के राष्ट्रपति बनते ही भारत हो जायेगा मालामाल.... जाने क्यों और कैसे?

ट्रंप बने अमेरिका के राष्ट्रपति

और यदि वह राष्ट्रपति बनते हैं तो इसका असर अमेरिका की विदेश नीति पर पड़ सकता है। अमेरिका के एक प्रमुख साप्ताहिक अखबार ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है। जनवरी 2017 में अमेरिका का अगला राष्ट्रपति अपना कार्यभार संभालेगा। अमेरिका से बाहर प्रॉपर्टीज में ट्रंप के निवेश पर बुधवार को प्रकाशित कवर स्टोरी में ‘न्यूजवीक’ ने लिखा है कि जुलाई में हुए कन्वेंशन में रिपब्लिकन पार्टी ने ऐलान किया था कि वह सत्ता में आने पर दक्षिण एशियाई देशों पर विशेष ध्यान देगी।

रिपोर्ट के मुताबिक, ‘यह इस बात का खतरनाक उदाहरण है कि किस तरह से ट्रंप के राष्ट्रपति बनने पर हितों का टकराव का मामला बन सकता है।’ रिपोर्ट के मुताबिक, ‘यदि वह भारत के खिलाफ कड़ा रवैया अपनाते हैं तो उन्हें पुणे स्थित अपने प्रॉजेक्ट्स में नुकसान की संभावना रहेगी।यदि वह पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हैं तो उन्हें भारत के अधिकारियों का भी तुष्टीकरण करना होगा, जो ट्रंप टॉवर पुणे में उनके लाभ को खतरे में डाल सकते हैं।’
साप्ताहिक अखबार के मुताबिक ट्रंप के पुणे और गुड़गांव में निवेश के चलते बीजेपी और कांग्रेस के तमाम नेताओं ने उनकी फैमिली के साथ करीबी रिश्ते बना रखे हैं। न्यूजवीक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत में ट्रंप के निवेश और अमेरिकी विदेश नीति के बीच सीधे तौर पर हितों के टकराव की स्थिति देखने को मिल सकती है। ट्रंप ने 2011 में भारत के प्रॉपर्टी डिवेलपर रोहन लाइफस्केप्स से एक अग्रीमेंट साइन किया था, जिसमें एक 65 मंजिला इमारत के निर्माण का करार किया गया है।
रोहन लाइफस्केप्स की ओर से इस सौदे को लीड करने वाले कल्पेश मेहता भविष्य में भारत में ट्रंप के बिजनस का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं। हालांकि इस प्रॉजेक्ट की शुरुआत के साथ ही सरकार के नियम आड़े आने लगे थे। इसके बाद डॉनल्ड ट्रंप ने भारत की यात्रा की थी और तत्कालीन महाराष्ट्र सीएम पृथ्वीराज चव्हाण से इन बाधाओं को दूर करने को कहा था। लेकिन चव्हाण ने ट्रंप के संगठन के लिए अलग रवैया अपनाने से इनकार कर दिया।

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