बड़ा खुलासा: इमरजेंसी की वजह से रमेश सिप्पी को बदलना पड़ा था ‘शोले’ का पूरा क्लाइमेक्स
June 27, 2018
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अमिताभ बच्चन और धर्मेन्द्र की ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘शोले’ को रिलीज हुए 43 साल बीत चुके हैं, लेकिन आज भी लोगों के बीच इस फिल्म का क्रेज वैसा का वैसा ही है। चाहे बच्चे हो या फिर बूढे हर कोई इस फिल्म को उतने ही चाव से देखता है। ‘शोले’ की कहानी जितनी जबरदस्त है उतना ही इसका क्लाइमेक्स। लेकिन क्या आपको पता है इस फिल्म का क्लाइमेक्स जो असल में दिखाया गया था वो नहीं था?
‘शोले’ को बॉलीवुड की आइकॉनिक फिल्म कहा जाता है। इसमें जय और वीरू की जोड़ी से लेकर ठाकुर और गब्बर के डायलॉग ने लोगों का दिल जीत लिया था जिसे आज भी लोग दोहराते हैं। इस फिल्म से जुड़ा हाल ही में ऐसा खुलासा हुआ है जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे।
फिल्म के आखिरी सीन में दिखाया गया है कि ठाकुर गब्बर को मारने की कोशिश करता है लेकिन पुलिस आकर उन्हें ऐसा करने से रोक देती है। वहीं अब ऐसी खबर आई है कि फिल्म का आखिरी सीन यह नहीं था, इसे फिल्म रिलीज होने के कुछ दिन पहले बदला गया था। असल में ‘शोले’ फिल्म के आखिरी सीन को रमेश सिप्पी ने पूरी तरह से अलग शूट किया था।
खबरों के मुताबिक फिल्म के आखिरी सीन में दिखाया जाना था कि ठाकुर गब्बर को पैरों से मारता हुआ उसी जगह पर ले जाता है जहां पर गब्बर ने ठाकुर के हाथ काट दिए होते हैं। गब्बर को मारने के बाद ठाकुर जमीन पर गिर जाता है जिसके बाद वीरू ठाकुर को शॉल उढ़ा देता है। जिसके बाद ठाकुर और वीरू एक दूसरे को गले लगा लेते हैं।
फिल्म के इस पूरे सीन को शूट करने के बाद रमेश सिप्पी को अलग तरह से आखिरी सीन शूट करना पड़ा था जिसकी वजह सेंसर बोर्ड का फैसला था। जिस वक्त यह फिल्म रिलीज हुई थी उस वक्त भारत में इमरजेंसी लगी हुई थी। ऐसे में सेंसरबोर्ड यह नहीं चाहता था कि फिल्म में दिखाया जाए कि पुलिस का पूर्व अफसर किसी अपराधी को खुद सजा दे। बोर्ड को ऐसा लगा था कि फिल्म में ऐसा दिखाए जाने से माहौल खराब हो सकता है जिसकी वजह से सिप्पी ने फिल्म के आखिरी सीन को दोबारा शूट किया।