शरीर में छोटा सा घाव या इंफेक्शन हो बन सकता है जानलेवा

छोटे-मोटे घाव हमें अक्सर लगते ही रहते हैं। कोई एंटी-सेप्टिक क्रीम लगाने या ऑयल लगाने से ये अक्सर ठीक हो जाते हैं। मगर कई बार हमारी कुछ गलतियों से इन घावों में इंफेक्शन फैल जाता है। शरीर में होने वाला छोटा-मोटा इंफेक्शन भी जानलेवा हो सकता है क्योंकि इसके कारण आपको सेप्सिस रोग हो सकता है। इंफेक्शन यानि संक्रमण आपके लिए घातक हो सकता है क्योंकि कई बार संक्रमण में होने वाले बैक्टीरिया आपके खून में शामिल हो जाते हैं और खून को भी संक्रमित कर देते हैं। खून में होने वाले गंभीर संक्रमण को ही सेप्सिस, सेप्टिसीमिया या बैक्टिरीमिया कहते हैं। आम भाषा में इसे ब्लड पॉयजनिंग कहते हैं।शरीर में छोटा सा घाव या इंफेक्शन हो बन सकता है जानलेवा

क्या होता है सेप्सिस रोग या ब्लड पॉयजनिंग

ब्‍लड पॉयजनिंग के बारे में सुनने पर आपके जहन में ब्‍लड में जहर आने की कल्‍पना घूमने लगती होगी। लेकिन वास्‍तवकिता में इसका जहर के साथ कुछ लेना देना नहीं होता है। यह एक खतरनाक अवस्‍था है और तत्‍काल उपचार इससे बचने की कुंजी, इसलिए इसे पूरी तरह से समझना बहुत महत्‍वपूर्ण है। ब्‍लड पायजनिंग बैक्‍टीरिया के कारण होने वाला संक्रमण है जो एक घातक स्थिति है। बहुत सारे मरीज इस अवस्‍था के निदान में विफल रहते हैं और बहुत लंबे समय तक इसे नजरअंदाज करने के कारण यह समस्‍या जानलेवा भी हो सकती है। इसलिए इस समस्‍या के बारे में पता होना जरूरी है ताकी आप बीमारी के बारे में अपने डॉक्‍टर को सही समय पर सचेत कर सकें।

किन कारणों से होता है ये रोग

सेप्सिस, वायरस, फंगस, बैक्‍टीरिया और परजीवी जैसे संक्रामक एजेंटों के माध्‍यम से होता है। सेप्सिस पैदा करने वाले सबसे आम व्‍यापक रूपों में आमतौर पर पेट, फेफड़े या मूत्र मार्ग में मौजूदा संक्रमण, दूषित सुई या सिरिंज और कैंसर या मधुमेह जैसे संक्रामक रोगों से ब्‍लड पॉयजनिंग का खतरा बढ़ सकता है। ब्‍लड पॉय‍जनिंग से संक्रमित होने का खतरा इन कारकों के कारण ज्‍यादा बढ़ जाता हैं:

  • हाल ही में हुई सर्जरी या बीमारी के कारण अस्पताल देखभाल की जरूरत।
  • कीमोथेरेपी या कैंसर के कारण कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली।
  • मधुमेह के कारण प्रतिरक्षा में कमी।
  • बुजुर्ग लोगों में कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण।
  • आक्रामक डिवाइस के साथ चिकित्सा उपचार।
  • रहने की अस्वास्थ्यकर स्थिति।

जानलेवा है ये रोग

ब्‍लड पॉयजनिंग को सामान्यतः सेप्टिसीमिया या सेप्सिस के रूप में भी जाना जाता है, और यह जानलेवा संक्रमण खून में बैक्टीरिया की उपस्थिति के कारण होता है। बैक्टीरिया के खून में प्रवेश करने पर यह शरीर के किसी भी भाग में संक्रमण पैदा कर ब्‍लड पाॅयजनिंग का कारण बन सकता हैं। इस संक्रमण में व्यक्ति के रक्त में श्वेत रक्त कणिकाओं की संख्या बहुत अधिक हो जाती है।

ये हैं सेप्टिसीमिया रोग के लक्षण

  • रोगी का रक्तचाप तेजी से घटना-बढ़ना।
  • हृदय की गति बढ़ जाना।  
  • रक्तस्राव होना।  
  • अन्य कई महत्वपूर्ण अंगों का अपना काम बन्द करना।
  • बुखार आना।
  • मानसिक गड़बड़ी होना।
  • डायरिया, मिचली, उल्टी और चक्कर आना।
  • त्‍वचा का पीला और चिपचिपा होना।
  • सेप्टिसीमिया के एडवांस लक्षण में चकत्ते या सारे शरीर में गहरे लाल धब्बे शामिल हैं।
  • गंभीर सेप्सिस से पीड़ित कुछ रोगियों को पेशाब की कमी का अनुभव भी हो सकता है।

क्या संभव है सेप्टिसीमिया का इलाज

ब्‍लड पाय‍जनिंग का आत्‍म निदान मुश्किल होता है। अगर आपको सेप्सिस है तो इसको निर्धारित करने का सबसे अच्‍छा तरीका तुरंत चिकित्‍सक से परामर्श लेना होता है। आपको इस तरह के लक्षण दिखने पर चिकित्‍सक की सलाह से तुरंत ब्‍लड टेस्‍ट, यूरीन टेस्‍ट, बलगम टेस्‍ट, स्‍टूल टेस्‍ट, एक्‍स-रे, सीटी स्‍कैन, एमआरआई स्कैन या इकोकार्डियोग्राम करवाना चाहिए। इसके इलाज के लिए संक्रमण की शुरूआत में एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं और कोशिश की जाती है कि संक्रमित अंग को आसानी से संक्रमणमुक्त किया जा सकें। इस संक्रमण का सबसे अच्छा इलाज है कि शुरूआती अवस्था में ही इसका पता लगाकर संक्रमण को रोक देना चाहिए।

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