#जम्मू-काश्मीर : कई युद्धों के बाद भी नहीं सुलझा विवाद, 172 सालों में हुईं अनेक कोशिशें
देखा जाए या कश्मीर समस्या की जड़ को समझने की कोशिश करें तो पाते हैं कि जम्मू कश्मीर में शुरुआत से ही यह राजनैतिक समस्या रही है, जिसे पंडित नेहरू ने यूएन में ले जाकर एक अन्तराष्ट्रीय समस्या में तब्दील कर दिया था। यह एक राजनैतिक उद्देश्य से प्रायोजित समस्या है जिसका हल राजनीति कूटनीति और दूरदर्शिता से ही निकलेगा।
आजादी के साथ ही भारत-पाकिस्तान में जम्मू और कश्मीर को लेकर विवाद शुरू हो गया था। भारतीय स्वतंत्रता एक्ट 1947 के अनुसार देश की तमाम रियासतों को यह हक दिया गया था कि वे चुने कि उन्हें भारत के साथ रहना है या पाकिस्तान के साथ। जम्मू कश्मीर उस समय देस की सबसे बड़ी रियाया थी। रियासत के महाराज हरी सिंह ने कई संधियों के बाद भारत को चुना।
टाइम-लाइन से समझने की कोशिश करते हैं कि कैसे बिगड़े और बिगड़ते गए कश्मीर के हालात
1846: जम्मू-कश्मीर राज्य का गठन अमृतसर संधि के दौरान तब हुआ जब महाराजा गुलाब सिंह ने कश्मीर घाटी को ईस्ट इंडिया कंपनी से खरीदा और तब जम्मू और लद्दाख उनके ही शासन के अतंगर्त था।
1857: भारत में अंग्रेजों के खिलाफ पहला स्वतंत्रता संग्राम हुआ।
1931: में महाराजा के खिलाफ कश्मीर में आंदोलन शुरू हुआ लेकिन राज्य की सेना द्वारा उसे दबा दिया गया।
1932 : में शेख मुहम्मद अब्दुल्ला(उमर अब्दुल्ला के दादा) ने कश्मीर को महाराज के शासन से आजाद कराने के लिए ऑल जम्मू एंड कश्मीर मुस्लिम कांफ्रेंस का गठन किया। जो 1939 में नेशनल कांफ्रेंस की शाखा बनी। अप्रैल 1932 में ग्लांसी कमीशन ने मुस्लिम अधिकारों को लेकर घाटी में एक बहस छेड़ी जिसे महाराज ने स्वीकार कर लिया लेकिन इसे लागू करने में काफी समय लग गया।
1939 में नेशनल कांफ्रेंस ने कश्मीर के लोगों के लिए संप्रभुता के लिए कश्मीर छोड़ो आंदोलन चलाया।
1940: स्वतंत्र राज्य की मांग को लेकर पाकिस्तान में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें मुस्लिम बहुल्य वाले सभी क्षेत्रों को शामिल किया गया।
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1947 मार्च: कश्मीर के पूंछ क्षेत्र में एकबार फिर विरोध के स्वर उभरे लेकिन महाराज की सेना ने उसे दबा दिया।
1947 : 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ और इसके साथ ही देश की गुलामी का अंत हुआ। वहीं कश्मीर में पूर्व और पश्चिम में मुस्लिम बहुल्य वाले क्षेत्रों को पाकिस्तान के अलग राज्य बनाने के लिए विभाजित किया गया ।
1947: पाकिस्तानी ट्राइबल सेना के हमले के बाद महाराजा ने एक बार फिर भारत के साथ प्रवेश के संधि पर हस्ताक्षर किया। भारत और पाकिस्तान के बीच तभी से कश्मीर जंग का मैदान बना।
1948 में भारत ने कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में उठाया।
1951: में भारत ने जम्मू कश्मीर में चुनाव कराए। जिसका पाकिस्तान ने विरोध किया।
1957 में संविधान में जम्मू -कश्मीर को भारत का हिस्सा बताया गया.
1950: में चीन से पश्चिमी कश्मीर पर कब्जा किया जिसे अक्साई चीन कहा जाता है।
भारत और चीन के बीच युद्ध
1962 में चीन ने अक्साई चीन पर हुए युद्ध में भारत को हरा दिया
1963 पाकिस्तान कश्मीर मामले में चीन को मोहरा बनाया
1965: में पाकिस्तान और भारत में कश्मीर मुद्दे को लेकर एकबार फिर युद्ध हुआ
1971-72 इस दौरान एक बार फिर दोनों देशों के बीच युद्ध हुआ जिसमें पाकिस्तान की हार हुई। और शिमला समझौता के साथ इस युद्ध का अंत हुआ। इसी दौरान कश्मीर में संघर्ष विराम रेखा और लाइन ऑफ कंट्रोल का निर्माण किया गया।
1974- में कश्मीर के मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला बने
1984- में सियाचीन ग्लेसियर पर भारतीय सेना ने अपना कब्जा किया जिसे अभी तक लाइन ऑफ कंट्रोल के दायरे में नहीं थी। पाकिस्तान इसे अपने कब्जे में करने के लिए कई दशकों से हमले कर रही है।
विद्रोह की शुरुआत
1987 में यहां विद्रोह की शुरुआत हुई। जम्मू कश्मीर में फैले इस विद्रोह का कारण भारत ने पाकिस्तान बताया।
1990- विद्रोह तब और बढ़ गई जब भारतीय सेना ने 100 प्रदर्शनकारियों को मार गिराया। यह वही साल है जब घाटी से हिंदुओ को चुन चुन कर मारा गया और घाटी से निकलने को मजबूर किया गया। इस दौरान घाटी में भारत सरकार ने अफ्सा लागू किया। इसी दौरान भारत में पाकिस्तान ने आतंकी हमले किए और आतंकी ट्रेनिंग कैंप बनाया। दोनों देशों के देशवासी तेजी से हिंसा के शिकार हुए।
1999 में कारगिल युद्ध हुआ। जब पाकिस्तानी सेना ने कारगिल जिले में भारत पर हमला बोला। तब भारत और पाकिस्तान के बीच सभी रिश्ते को खत्म कर दिया
2001-2004 : इसी साल दिल्ली में संसद पर और जम्मू कश्मीर विधानसभा में आतंकी हमला हुआ ।
2010 में जम्मू कश्मीर एकबार फिर से अशांत हुआ। जब भारतीय सेना ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ एक्शन लिया। सितंबर में सरकारी की तनाव को कम किए जाने की घोषणा के बाद कुछ शांति हुई।
2011 अगस्त – तत्कालीन मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 1,200 युवाओं के लिए माफी की घोषणा की जिन्होंने कश्मीर घाटी में सरकार विरोधी प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा बलों पर पत्थरों को फेंका था वहीं सितंबर पाकिस्तान सेना ने आरोप लगाया कि लाइन ऑफ कंट्रोल पर भारतीय सेना ने उसके तीन सैनिकों को मारा है।
2013 फरवरी – में विवाद तब बढ़ा जब 2001 में संसद में हुए हमले के लिए जैश-ए-मुहम्मद के सदस्य अफजल गुरू को फांसी की सजा दी,जिसके बाद घाटी में एक बार फिर दंगा भड़का और इसमें दो लोगों की मौत हुई। इसके बाद दोनों देशों के प्रधानमंत्री ने नियत्रंण रेखा पर बढ़ती हिंसा को रोकने के लिए एकबार फिर बातचीत शुरू की।
2014 अगस्त- दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायुक्त के कश्मीरी अलगाव वादी नेताओं की मुलाकात के बाद भारत ने इसका कड़ा विरोध किया। अक्तूबर में लाइन ऑफ कंट्रोल पर भड़की हिंसा में 18 लोगों की मौत के बाद दोनों देशों ने एक दूसरे को बुरे परिणाम भुगतने की चेतावनी देनी शुरू की।
बीजेपी ने पीडीपी के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई
2015: में भाजपा ने पीडीपी के साथ मिलकर जम्मू कश्मीर में सरकार बनाई, तब मुफ्ती मोहम्मद सईद मुख्यमंत्री बने। उसके बाद घाटी में दंगा शुरू हुआ। कश्मीर में प्रधानमंत्री दौरे के दौरान दंगा भड़का।
2016 अप्रैल-में मुफ्ती मोहम्मद के निधन के बाद महबूबा मुफ्ती घाटी की पहली मुख्यमंत्री बनी। उसके बाद जुलाई में यहां लगातार कर्फ्यू लगा। यह वह समय था जब सेना ने आतंकी बुरहान वाणी को मौत के घाट उतारा। करीब तीन महीने से अधिक समय तक कश्मीर बंद रहा। यही नहीं कश्मीर में इंटरनेट सर्विस भी बंद रही। इस दौरान करीब 68 लोग मारे गए जबकि दो सुरक्षा बल शहीद हुए। इस दौरान भड़के 9000 लोगों के घायल होने की बात कही गई।
वहीं 2016 सितंबर में सर्जिकल स्ट्राइक हुई जिसमें भारतीय सेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में घुसकर आतंकियों के कैंप पर हमला बोला। पाकिस्तान इस हमले को लेकर हमेशा से इनकार करता आ रहा है। उरी की घटना के बाद भारत पाकिस्तान के बीच स्थिति आज तक सामान्य नहीं हुई है। वर्ष 2017 में भी कई बार आतंकी हमले हुए।
31,दिसंबर 2017-जनवरी 2018- इस दौरान दक्षिण कश्मीर के लेथापोरा में जैश-ए मोहम्मद के आतंकी हमले में पांच सीआरपीएफ के जवान शहीद हुए जबकि तीन घायल हुए। 24 घंटे तक चले इस हमले में तीन आतंकियों की भी मौत होती है।
वहीं जनवरी 19 को दक्षिण कश्मीर के पुलवामा शहर में आतंकी द्वारा ग्रेनेड हमले में आठ पुलिस वाले घायल हुए। वहीं बारामुला पुलिस स्टेशन पर आतंकी हमला हुआ।
फरवरी 1 को भी आतंकियों ने दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों पर हमला किया। वहीं महज दो दिनों के अंदर आतंकी हमला हुआ जिसमें दो आम लोगों की और तीन सीआरपीएफ के जवान घायल हुए।
मई 2018 में रमजान के पाक महीने में भारतीय सेना ने किसी भी तरह की सैन्य कार्रवाई की रोक के बाद राइजिंग कश्मीर के पत्रकार शुजात बुखारी और ईद मनाने जा रहे भारतीय सेना के जवान औरगंजेब की अपहरण कर हत्या के बाद अब भारत ने जम्मू-कश्मीर में एकतरफा सीजफायर समाप्त किए जाने की घोषणा कर दी है। इससे जवानों का हौसला बढ़ गया है। बता दें कि रमजान में पत्थरबाजों के हिंसक प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा बलों के हाथ बंधे हुए थे। अब सुरक्षा बलों ने आतंकियों के खिलाफ कमर कस ली है। पत्थरबाजों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। सीजफायर खत्म होते ही सोमवार को बांदीपोरा में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ चल रही है। जिसमें अभी तक सेना ने चार आतंकियों को मार गिराया है। उधर, बिजबेहरा इलाके में कुछ आतंकियों के छिपे होने की खबर के बाद सेना ने इलाके को घेर रखा है।
रमजान में घटनाएं
महज एक महीने में घाटी में 65 आतंकी घटनाएं हुईं,
22 ग्रेनेड हमले सुरक्षा बलों पर,
23 बार सुरक्षा बलों पर अंधाधुंध फायरिंग,
07 बार नागरिकों पर हमले
12 बार हथियार लूट की कोशिशें
03 घुसपैठ की कोशिशें, 14 आतंकी ढेर
15 बार आईबी व एलओसी पर सीजफायर तोड़ा