ऐसे बढेगी आपके होम लोन, कार लोन की EMI

रिजर्व बैंक ने आज मुख्य नीतिगत दर रेपो रेट को 0.25 फीसदी बढ़ाकर 6.25 फीसदी कर दिया. पिछले चार साल से ज्यादा समय के बाद आज पहली बार रेपो दर बढ़ाई गई. विश्व बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ने से महंगाई को लेकर चिंतित आरबीआई ने ये फैसला लिया है. इससे बैंकों का कर्ज महंगा होगा और होम लोन, ऑटो लोन के की ईएमआई बढ़ सकती है.

रेपो दर में बढ़त का अनुमान लगाते हुये कई बैंकों ने पहले ही अपनी ब्याज दरों में बढ़त कर दी है. स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और बैंक आफ बड़ौदा ने पिछले सप्ताह अपनी कर्ज दरों में 0.1 फीसदी तक बढ़त कर दी. इससे आपके लोन की ईएमआई बढ़ना तय है. आपके लिए जानने लायक बात ये है कि होम लोन और कार लोन की ब्याज दरों में अच्छा खासा इजाफा देखा जा सकता है.

मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन चली बैठक के बाद आज रेपो दर बढ़ाने की घोषणा की गई. रिजर्व बैंक गवर्नर ऊर्जित पटेल सहित समिति के सभी छह सदस्यों ने रेपो दर बढ़ाने के पक्ष में अपना मत दिया. रेपो दर वह दर होती है जिस पर केन्द्रीय बैंक एक दिन-एक रात की फौरी जरूरत के लिये बैंकों को कैश मुहैया कराता है. इसके साथ ही रिवर्स रेपो दर भी इसी अनुपात में बढ़ाकर छह फीसदी हो गई. इस दर पर केन्द्रीय बैंक बैंकों से अतिरिक्त नकदी उठाता है.

28 जनवरी 2014 को बढ़ाई गई थी दरें

रिजर्व बैंक ने इससे पहले 28 जनवरी 2014 को रेपो दर में बढ़ोतरी की थी. उस समय रेपो दर 0.25 फीसदी बढ़ाकर आठ फीसदी पर पहुंच गई थी. उसके बाद से इसमें या तो गिरावट आती रही अथवा दर को स्थिर रखा गया. जनवरी 2015 में पहली बार इसमें चौथाई फीसदी की कटौती कर इसे 7.75 फीसदी पर लाया गया.

आरबीआई पॉलिसी की खास बातें

चालू वित्त वर्ष की आज यह दूसरी मौद्रिक नीति समीक्षा की गई. इसमें रिजर्व बैंक ने कच्चे तेल के दाम बढ़ने से मुद्रास्फीति बढ़ने को लेकर चिंता जताई है. हालांकि केन्द्रीय बैंक ने 2018- 19 के लिये आर्थिक बढ़त के अनुमान को 7.4 फीसदी पर बरकरार रखा है.

बड़ीखबर: मकान और वाहन खरीदना होगा महंगा, RBI ने रेपो दर की में की बढ़ोतरी

अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति 4.58 फीसदी रही है. पिछले छह महीने में सकल खुदरा मुद्रास्फीति चार फीसदी से ऊपर रही है, हालांकि इस दौरान रिजर्वबैंक ने नीतिगत दर में यथास्थिति बनाए रखी.

उर्जित पटेल ने कहा कि घरेलू आर्थिक गतिविधियों में हाल की तिमाहियों में सुधार आया है और उत्पादन और मांग के बीच जो फासला था वह करीब करीब खत्म हो गया. निवेश गतिविधियों में भी स्थिति बेहतर हुई है.

पटेल ने कहा कि मुद्रास्फीति को लेकर रिजर्व बैंक सतर्कता बरतता रहेगा. एमपीसी की अप्रैल में हुई पिछली बैठक के बाद से विश्व बाजार में कच्चे तेल के दाम 66 डालर से बढ़कर 74 डालर पर पहुंच गये.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button