विश्व पर्यावरण दिवस: जहर से कम नहीं प्लास्टिक, मिट्टी को बंजर तो पानी को कर देता है जहरीला


पर्यावरण से लेकर हमारे जीवन तक पर इसका बुरा असर सामने आ रहा है, फिर भी प्लास्टिक का उत्पादन बढ़ता ही जा रहा है। इस वर्ष इन्हीं वजहों से विश्व पर्यावरण दिवस 2018 की थीम प्लास्टिक प्रदूषण को मात देने पर आधारित की गई है। भारत के लिए यह और महत्वपूर्ण है, क्योंकि हमें इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व पर्यावरण दिवस का मेजबान राष्ट्र बनाया है।
माइक्रो प्लास्टिक : वैज्ञानिकों के अनुसार, कॉस्मेटिक्स में उपयोग हो रहा माइक्रो प्लास्टिक या प्लास्टिक बड्स पानी में घुलकर पानी का प्रदूषण बढ़ा रहे हैं। इसकी मौजूदगी जलीय जीवों में भी मिली है। भारत सहित कई देशों ने जुलाई 2017 में इस पर बैन लगाया, लेकिन अब तक जितना नुकसान इसने किया है हमारे वातावरण को, उसकी भरपाई में कितना समय लगेगा, कहना मुश्किल है।
समुद्र में प्लास्टिक : रीसाइकलिंग से बचे और बेकार हो चुके प्लास्टिक का बड़ा हिस्सा हमारे समुद्रों में डंप हो रहा है। वैज्ञानिक अध्ययनों का अनुमान है कि 2016 में समुद्र में 70 खरब प्लास्टिक के टुकड़े मौजूद हैं, जिसका वजन तीन लाख टन से अधिक है।
जलीय जीवों में पहुंचा : वैज्ञानिक अब तक 250 जीवों के पेट में खाना समझकर या अनजाने में प्लास्टिक खाने की पुष्टि कर चुके हैं। हमारे देश में सड़कों पर आवारा छोड़ दी गई गायें इन प्लास्टिक के बैग में छोड़े गए खाद्य पदार्थों के साथ बैग भी खा जाती हैं। साथ ही 693 प्रजातियों के जलीय, पक्षी और वन्य जीव अब तक प्लास्टिक के जाल, रस्सियों में उलझकर मौत का शिकार बनते हैं।
सड़क निर्माण : दुनिया के कई हिस्सों में अनुपयोगी प्लास्टिक कचरे से सड़कें बनाई जा रही हैं।
कंक्रीट : ईरान सहित कई देश प्लास्टिक को छोटे टुकड़ों में तोडक़र उन्हें कंक्रीट के रूप में पत्थरों की कमी दूर करने के लिए उपयोग कर रहे हैं।
रीसाइकल : इस समय दुनिया का एक तिहाई प्लास्टिक ही रीसाइकिल हो पा रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार, प्लास्टिक को अधिक से अधिक मात्रा में रीसाइकिल करने की जरूरत है।
अभियान : मुंबई का वर्सोवा तट, लोगों द्वारा प्लास्टिक से मुक्त करने के अभियान का एक अनूठा उदाहरण बना है। ऐसे ही अभियान देश के विभिन्न हिस्सों में चलाए जा रहे हैं।
खुद कर सकते हैं : थैला लेकर बाजार जाएं। प्लास्टिक कचरे को कूड़ा संग्रह कर रही एजेंसी के सफाईकर्मी को दें, ताकि उसका रीसाइकिल जा सके।
पायरोलाइसिस : एक तकनीक है, जिसके जरिए प्लास्टिक को ईंधन के रूप में बदला जाता है।