जहाँगीर से लेकर मोदी तक की सरकारें नहीं छोड़ पा रहीं तम्बाकू उत्पाद से मिलने वाले राजस्व का मोह
लखनऊ. हजारों रिसर्च में यह साबित हो चुका है कि एक अकेली तम्बाकू 40 प्रकार के कैंसर और 25 प्रकार के अन्य रोगों यानी कुल 65 बीमारियों को जन्म देती है. लेकिन सच्चाई यह है कि 500 साल पहले पुर्तगालियों को अकबर द्वारा भारत में तम्बाकू की पैदावार के लिए जो अनुमति दी गयी वह पैदावार आज भी हो रही है. इसका एक बड़ा कारण है जहाँगीर द्वारा तम्बाकू पर पहली बार लगाया गया टैक्स के जरिये आने वाला राजस्व. यानी जहाँगीर के जमाने से शुरू हुआ तम्बाकू के टैक्स का मोह आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक रही सरकारें छोड़ नहीं पा रही हैं.
यह बात आज यहाँ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की लखनऊ शाखा के अध्यक्ष और पल्मोनरी विशेषग्य डॉ.सूर्य कान्त ने एक पत्रकार वार्ता में कही. पत्रकार वार्ता का आयोजन आईएमए, प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ और नशा मुक्ति आन्दोलन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गयी थी. डॉ. सूर्यकान्त ने बताया कि तम्बाकू से होने वाले नुक्सान का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दुनिया में करीब 70 लाख और भारत में 12 लाख मौतें हर साल तम्बाकू के कारण होती हैं. उन्होंने बताया कि तम्बाकू पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाने के लिए एक बार अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में पहल की गयी थी. उस पहल को आगे बढ़ाने के लिए एक बार फिर हम लोगों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है. इस पत्र को भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक तथा मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ को भी भेजा गया है.
बेरोजगार नहीं होंगे तम्बाकू किसान, मौजूद है ठोस विकल्प
उन्होंने बताया कि वर्ष 1999 में आइसीएमआर ने एक आकलन में पाया था कि तम्बाकू उत्पादों से सरकार को मिलने वाला राजस्व 24400 करोड़ है जबकि तम्बाकू के कारण होने वाली टॉप तीन बीमारियों हार्ट, स्ट्रोक और सांस की बीमारियों पर ही 27761 करोड़ रुपये खर्च हो जाते हैं. अब वर्तमान में यह राजस्व बढ़कर एक लाख करोड़ रुपये हो गया है तो उसी अनुपात में तीनों बीमारियों पर भी होने वाला खर्च इससे ज्यादा हो गया है. उन्होंने बताया कि तम्बाकू पर प्रतिबन्ध लगाने की जब बात चलती है तो यह भी भय दिखाया जाता है कि तम्बाकू की खेती से जुड़े कुल 2.5 करोड़ लोग बेरोजगार हो जायेंगे, उन्होंने बताया कि अटल बिहारी सरकार के समय भी यह भय दिखाया गया तो भारत में सर्वाधिक तम्बाकू की खेती वाले राज्य आंध्र प्रदेश के किसानों को अटल बिहारी ने बुलाया था और कहा कि अगर आप लोग इस जहर (तम्बाकू) की खेती बंद कर के अमृत (फूलों) की खेती करें तो आपको बेरोजगार होने की नौबत नहीं आयेगी क्योंकि फूलों से
इत्र आदि तैयार होने के लिए कंपनियां आपसे व्यापार जारी रखेंगी.
उन्होंने बताया कि 15 वर्ष से ज्यादा आयु वाला हर तीसरा व्यक्ति तम्बाकू का सेवन करता है. उन्होंने बताया कि बीड़ी-सिगरेट पीने वाला व्यक्ति अपने से ज्यादा नुक्सान दूसरे का करता है क्योंकि 30 प्रतिशत धुआं धूम्रपान करने वाले के अन्दर जाता है बाकी 70 प्रतिशत आसपास के वातावरण में घुल जाता है जिससे दूसरे लोग प्रभावित होते हैं. उन्होंने बताया कि सिगरेट से ज्यादा नुकसानदायक बीड़ी है. उन्होंने बताया कि पीएम को लिखे पत्र में कोटपा एक्ट के पालन करवाए जाने की मांग भी की गयी है.
इस मौके पर उपस्थित स्त्री रोग विशेषग्य डॉ. रेखा तिवारी ने महिलाओं को सिगरेट पीने से तथा पास में मौजूद व्यक्ति के सिगरेट पीने से होने वाले नुकसान के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि अगर महिला गर्भवती है तो इसका असर उसके होने वाले बच्चे पर भी बहुत बुरा पड़ता है. उन्होंने बताया कि इसका एक नुकसान यह भी है कि माँ के दूध सूखने लगता है. उन्होंने कहा कि महिलाओं को चाहिए कि अगर उनके पास खड़ा व्यक्ति अगर सिगरेट पी रहा है तो वह उसे मना करें. नशा मुक्ति अभियान से जुड़े प्रशांत भाटिया ने कहा कि धूम्रपान से होने वाली बीमारियों से मरीज के साथ-साथ पूरा घर प्रभावित होता है, क्योंकि परिवार में किसे को कैंसर हो गया तो पूरा परिवार आर्थिक और शारीरिक तरीके से मरीज के साथ जूझता रहता है.
इस मौके पर उपस्थित प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ के प्रतिनिधि तथा डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी हॉस्पिटल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आशुतोष दुबे ने कहा कि अक्सर बड़े व्यक्ति तम्बाकू का सेवन करते हैं और छोटों को समझाते हैं तो ऐसे में बच्चे पर इसका कितना असर होगा. उन्होंने कहा कि तम्बाकू एक तरह से दीमक है जो आपके शरीर को खा जाता है. इससे होने वाले नुक्सान के बारे में उन्होंने बताया कि तम्बाकू खाने के नुकसान ही नुकसान हैं. इनमें बाल झड़ने लगते हैं, त्वचा में झुर्रियां पड़ जाती हैं, समय से पूर्व बूढ़े दिखने लगते हैं, फिर धीरे-धीरे आदमी डिप्रेशन का शिकार हो जाता है. इसके अलावा स्ट्रोक, रीनल, पैंक्रियाज, महिलाओं में प्रजनन क्षमता कम होना, पुरुषों में शुक्राणुओं का कम बनना, हड्डी की समस्याएं, टीबी, एचआईवी का खतरा उत्पन्न हो जाता है.
नशा मुक्ति अभियान से जुड़े डॉ. अनुरुद्ध वर्मा ने कहा कि तम्बाकू के प्रयोग से धीरे-धीरे बीमारियाँ बढ़ती जा रही हैं जबकि सुविधाएं कम होती जा रही हैं. उन्होंने कहा कि तम्बाकू इतनी खतरनाक है कि इसका एक कश पांच मिनट की जिन्दगी कम कर देता है. व्यक्ति जल्दी बूढ़ा दीखने लगता है. उन्होंने कहा कि लोगों को शपथ लेनी चाहिए कि वे न तो नशा करेंगे और न ही किसी को करने देंगे. हृदय रोग विशेषग्य डॉ. राकेश सिंह ने कहा कि नशा छोड़ने के लिए दूसरों को तो प्रेरित करना ही चाहिए स्वयं चिकित्सक को भी इससे दूर रहना चाहिए. इस मौके पर मंच का संचालन करते हुए ब्रजनंदन ने बताया कि विश्व तम्बाकू निषेध दिवस 31 मई से 15 जून तक नशा मुक्त पखवाड़ा मनाया जायेगा.