UC News की खतरनाक साजिश के खिलाफ ABP ने खोला मोर्चा
हिंदी न्यूज चैनल एबीपी न्यूज ने न केवल अपने डिजिटल मंच पर बल्कि अपने लोकप्रिय प्रोग्राम ‘घंटी बजाओ’ के जरिए भी चीन की करतूतों का पर्दाफाश किया है। एबीपी न्यूज के एसोसिएट एडिटर (इंवेस्टिगेशन) इंद्रजीत राय ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि चीन भारतीयों को मानसिक रूप से गुलाम बनाने की साजिश रच रहा है और वह भी चीनी कंपनी अलीबाबा के UC News App के जरिए, क्योंकि इस ऐप पर कुछ भी चीन के खिलाफ नहीं लिखा जा सकता है और न ही यहां कुछ भी चीन के खिलाफ पढ़ा जा सकता है, जबकि भारत के खिलाफ कुछ भी लिखने पर कोई दिक्कत नहीं है। चीनी कंपनी का यह न्यूज ऐप भारत में चीन को लेकर भारतीयों के मन में चीन की छवि तो मजबूत कर रहा है लेकिन भारत की छवि को लेकर खिलवाड़ कर सकता है। अंदेशा है कि धीरे-धीरे भारतीयों के मन और दिल में चीनी घुसपैठ का जरिया बन सकता है। पढ़िए एबीपी न्यूज की ये पूरी रिपोर्ट-
भारतीयों को मानसिक रूप से गुलाम बनाने की साजिश रच रहा है चीनी कंपनी UC News
चीनी कंपनी अलीबाबा के UC News App पर कुछ भी चीन के खिलाफ नहीं लिखा जा सकता है और न ही यहां कुछ भी चीन के खिलाफ पढ़ा जा सकता है। आरोप है कि इस न्यूज ऐप के जरिए चीन भारतीयों को मानसिक रूप से गुलाम बनाने की साजिश रच रहा है। ABP न्यूज ने अपने चर्चित शो घंटी बजाओ में ये खुलासा किया है कि यूसी न्यूज ऐप पर चीन के खिलाफ या चीन से संबंधित विवादित मुद्दों पर कुछ भी नहीं लिखा जा सकता है। वहीं भारत के खिलाफ कुछ भी लिखने पर कोई दिक्कत नहीं है।
यूसी न्यूज ऐप के जरिए ना सिर्फ भारत के न्यूज चैनल और अखबारों की खबरों को पढ़ा जा सकता है बल्कि कोई भी रजिस्ट्रेशन करके यूसी न्यूज ऐप पर खबर, न्यूज आर्टिकल या ब्लॉग लिख सकता है। साल 2016 में भारत में चीनी कंपनी का यूसी न्यूज ऐप लॉन्च हुआ। इस न्यूज ऐप का सर्वर चीन की राजधानी बीजिंग में है।
चीन यूसी न्यूज के जरिए देश के करोड़ों लोगों तक पहुंच रहा है और और अपने प्रोपेगेंडा का प्रसार कर रहा है। चीन की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी अलीबाबा का UC News App ऐप भारत के लोगों के सामने चीन की चालबाजियां सामने नहीं आने देता। इसके जरिए चीन भारत में मनोवैज्ञानिक स्तर पर लड़ाई लड़ रहा है। चीन इसके जरिए भारत को आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक और मानसिक तौर पर चोट पहुंचा रहा है।
चीन के खिलाफ कोई शब्द नहीं
उदाहरण के लिए आपको बता दें कि अगर आप यूसी न्यूज ऐप पर ‘भारत के कदम से बौखलाया चीन’ टाइप करते हैं तो तुरंत नीचे लिख कर आ जाता है कि ‘शीर्षक में संवेदनशील शब्द हैं कृपया इसे बदलें।’ इसका मतलब ये है कि चीनी कंपनी का न्यूज ऐप भारत में चीन के खिलाफ कुछ भी लिखने और पढ़ने की इजाजत नहीं दे रहा है। वहीं अगर भारत के खिलाफ आप इस ऐप पर कुछ भी लिखते हैं तो वो तुरंत मंजूर हो जाता है। जैसे अगर आप लिखेंगे कि ‘चीन के कदम से बौखलाया भारत’ तो ये आसानी से स्वीकार कर लिया जाएगा।
इसी तरह अगर आप दक्षिणी चीन सागर की कोई खबर चीन के खिलाफ लिखते हैं तो यूसी न्यूज का सर्वर आपको ऐसा लिखने की इजाजत नहीं देगा। दक्षिणी चीन सागर में चीन लगातार अपनी दादागीरी करते हुए कब्जा जमाने में जुटा रहता है। दक्षिण चीन सागर में पेट्रोलियम, गैस का बड़ा भंडार है, जिस पर कब्जा करने के लिए चीन का वियतनाम, फिलीपींस, मलयेशिया, ब्रुनेई और ताईवान से विवाद है। इसी दक्षिण चीन सागर में खनन के लिए वियतनाम की मदद भारत कर रहा है और इससे चीन चिढ़ता है।
इस मामले में पूर्व रॉ अधिकारी आर के यादव ने कहा, ‘यूसी न्यूज चाइनीज फ्रंट कंपनी अलीबाबा की कंपनी है, और अलीबाबा काफी बदनाम है कि वो चीन के लिए इंटेलिजेंस और दूसरे काम करता है, सामान बेचता है लेकिन उसके आड़ में इंटेलिजेंस का काम पूरी दुनिया में अलीबाबा कंपनी कर रही है, यूसी न्यूज उसकी ही कंपनी है।’
भारत के खिलाफ लिखने पर कोई दिक्कत नहीं
इस तरह चीन जैसा चाह रहा है वैसा ही भारतीयों को लिखने की बंदिश अपनी चीनी कंपनी के न्यूज ऐप के जरिए कर रहा है। आरोप है कि चीन बीजिंग में लगे सर्वर के जरिए भारतीयों के मन में चीन की एक ऐसी छवि गढ़ दे रहा है, जिससे भारतीय चीन की करतूतों पर कभी ध्यान ही ना दे पाएं। बता दें कि भारत में UC NEWS APP के 13 करोड़ यूजर्स हैं। बताया जा रहा है कि इसके जरिए चीन भारत के लोगों में ये स्थापित करना चाहता है कि चीन पावरफुल है और चीन कुछ गलत नहीं करता है।
‘मैकमोहन लाइन’ यानी वो सीमारेखा जिसके तहत अरुणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा है। अगर आक चीनी कंपनी के यूसी न्यूज ऐप पर ‘मैकमोहन लाइन पर तनाव की खबर’ ऐसा शीर्षक लिखते हैं तो चीनी कंपनी का सर्वर इसे संवेदनशील बताकर भारतीयों को पढ़ने नहीं देता। लेकिन जैसे ही कश्मीर सीमा पर तनाव की खबर लिखी जाए तो चीनी कंपनी का न्यूज ऐप को इस पर कोई आपत्ति नहीं होती। अगर कोई खबर चीनी कंपनी के यूसी न्यूज ऐप पर चीन की तानाशाही करके लिखी जाए तो फौरन चीनी कंपनी का सर्वर इसे संवेदनशील बताकर हटाने को कहता है। लेकिन भारत के लोगों को भारत के विरुद्ध ही भारत की तानाशाही वाले शीर्षक की खबर पढ़ाने के लिए चीनी कंपनी का न्यूज ऐप तैयार हो जाता है।
चीनी कंपनी का न्यूज ऐप भारत में चीन को लेकर भारतीयों के मन में चीन की छवि तो मजबूत कर रहा है लेकिन भारत की छवि को लेकर खिलवाड़ कर सकता है। अंदेशा है कि धीरे-धीरे भारतीयों के मन और दिल में चीनी घुसपैठ का जरिया बन सकता है। इस पर रक्षा विशेषज्ञ जीडी बख्शी ने कहा, ‘अभी हाल में ही पीएम मोदी जिनपिंग से मिलने योहान गए थे। मैंने कुछ चीनियों की ओछी कोट और मैसेज देखें हैं, जो खिल्ली उड़ा रहे हैं कि हम चीन के साम घुटने टेक रहे हैं। 13 करोड़ अगर इसके यूजर हैं तो चीन के प्रोपेगेंड का इनके दिमाग पर असर होगा।’
चीनी सामान के विरोध प्रदर्शन की खबर नहीं दिखाता ये ऐप
भारत में सालाना चीन 40 लाख करोड़ रुपए का अपना सामान निर्यात करता है। आरोप है कि चीनी सामान के खिलाफ भारत में जब भी कहीं प्रदर्शन होता है तो चीनी कंपनी का UC NEWS APP भारत में चीनी सामान के खिलाफ प्रदर्शन की खबरों को भारतीयों तक नहीं पहुंचने देता। ताकि भारत में चीनी सामान को लेकर ऐसी सोच ना बने जिसका नुकसान चीन को उठाना पड़े। अगर आप ‘चाइनीज सामान के खिलाफ प्रदर्शन’ ये लिखते हैं तो इस पर सर्वर आपत्ति दिखाता है और अगर वहीं आप ‘भारत के सामान के खिलाफ प्रदर्शन’ लिखते हैं तो इस पर कोई आपत्ति नहीं होती है। इसके जरिए भारत के करोड़ों लोगों तक चीन अपने घाटे की खबरों को दबा देता है। वहीं अगर भारत के विरोध की खबर हो तो उसे भारतीयों के बीच में पढ़ने, लिखने दिया जाता है।
चीनी कंपनी के UC NEWS APP के जरिए चीन भारत के लोगों को तिब्बत के बारे में सही जानकारी चीन नहीं लेने देता। तिब्बत से जुड़ी किसी भी खबर के शीर्षक को संवेदनशील बताकर हटाने के लिए कहता है। भारत के हिस्से वाले अक्साई चीन पर कब्जा करने वाला चीन इससे जुड़ी खबरों को भी भारतीयों के बीच में पढ़ने, लिखने की इजाजत नहीं देता। दलाई लामा का नाम आते ही चीनी कंपनी का न्यूज ऐप उसे भारतीयों को पढ़ने देने से रोक देता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि इससे भारतीयों को नुकसान उठाना पढ़ सकता है। जीडी बख्शी ने कहा कि इस पर सख्त निगरानी की जरूरत है।
ABP न्यूज ने इस मामले में यूसी न्यूज का भी पक्ष जानना चाहा। हालांकि एबीपी न्यूज की ओर भेजे गए सवालों पर यूसी न्यूज ने कोई जवाब नहीं दिया। कई बार रिमाइंडर भी भेजा गया लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
इस स्टोरी के अंत में एबीपी न्यूज ने यह भी कहा कि वह अगली रिपोर्ट में यह बताएगा कि UC NEWS APP के जरिए चीन क्या भारत में अफवाह भी फैलाता है? क्या भारत की राष्ट्रीय एकता और अखंडता को एक न्यूज ऐप से चीन हिलाना चाहता है? क्या भारत के चुनावों को भी चीन एक न्यूज ऐप के जरिए प्रभावित करने की कोशिश में है?