गृहस्थी मे रहते हुए पुत्र पुत्री आज्ञाकारी और माता पिता के भक्त हो, यही उसके लिए’ स्वर्ग है

✡स्वर्ग का सुख✡
यस्य पुत्रो वशीभूतो
भार्याछन्दा$नुगामिनी
विभवे यस्य सन्तुष्टस्तस्य
स्वर्ग इहैव हि।।✡

गृहस्थी मे रहते हुए पुत्र पुत्री आज्ञाकारी हो सदाचरण करने वाले हो माता पिता के भक्त हो पत्नी पति परायणा हो परिवार पोषण मे निपुण हो सास ससुर पति की सेवा करने वाली हो ईश्वर कृपा से जो सम्पत्ति अपने पास हो उसमे ही सदा सन्तुष्ट रहने वाला हो दूसरे के धन का लोभ न हो सत्कर्म करते हुए अतिथि सन्त सेवा धर्म पालन करने मे प्रसन्न रहने वाला हो उसके लिए यही’ स्वर्ग है

आचार्य स्वमी विवेकानन्द
9044741252

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