1 अक्टूबर 1998 को हुआ था कुछ ऐसा, जिसका दर्द 20 साल बाद भी सलमान को सता रहा है
April 5, 2018
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बहुचर्चित काला हिरण शिकार मामला 1 अक्टूबर 1998 को हुआ था। यह अजीब संयोग है कि उस दिन भी गुरुवार था और आज भी गुरुवार है। जोधपुर के कांकाणी गांव में रात के करीब 1 से 2 बजे के बीच खेत में अचानक गाड़ी की हेडलाइट की रोशनी चमकी।
खेत में रोशनी देखकर ग्रामीण सतर्क हो गए कि यह जिप्सी शिकार के लिए घूम रही है। तभी रात के सन्नाटे में गोली चलने की आवाज सुनाई दी तो यह शक यकीन में बदलते देर नहीं लगा। ग्रामीणों को जैसे ही गोली चलने की आवाज सुनाई दी वह लाठी डंडों के साथ उस तरफ दौड़ पड़े जिधर से आवाज आई थी।
मौके पर पहुंचे ग्रामीणों ने देखा दो काले हिरण मृत पड़े हैं। वहीं जिप्सी में कुछ लड़के लड़कियां सवार हैं। ग्रामीणों ने पीछा किया तो शिकारी जिप्सी लेकर भाग खड़े हुए हालांकि चश्मदीद बताते हैं कि भागते जिप्सी में बैठे सलमान को लोगों ने तुरंत पहचान लिया लेकिन कोर्ट में सुनवाई के दौरान चश्मदीद छोगाराम अपने बयान से पलट गया।
यही नहीं उसने मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाकर कोर्ट में अर्जी लगा दी कि उसे कुछ याद नहीं रहता लिहाजा उसे गवाही से अलग रखा जाए। घटना के बाद दोनों काले हिरणों का पोस्टमार्टम हुआ जिसकी रिपोर्ट कोर्ट में जमा की गई।
इसके बाद सैकड़ों लोगों के सामने पारंपरिक तरीके से दोनों काले हिरणों को दफनाया गया मगर उस दिन का मंजर कांकाणी गांव के लोगों को आज भी याद है। बता दें कि विश्नोई समाज के लोग काले हिरण और चिंकारे को अपने घर की संतानों की तरह मानते हैं। गांव के लोग भी इनके संरक्षण के लिए जान छिड़कते हैं।