आज भी जीवित हैं हनुमान, यहां के लोगों से करते हैं बात
आपने अक्सर देखा होगा कि जब किसी को डर लगता है तो ‘हनुमान चालीसा’ के दोहे अपने आप उसकी जुबान पर आ जाते हैं। जब किसी पर शनि की दशा होती है तो उसे हनुमान जी की पूजा करने की सलाह दी जाती है। हर मंगलवार को हनुमान मंदिर में एक लम्बी कतार लगी रहती है। बजरंग बली की महिमा ही ऐसी है कि उनका नाम लेते ही सारे डर दूर भाग जाते हैं।
ये सुपरमैन, स्पाइडरमैन तो काल्पनिक सुपरहीरोज हैं। मगर सबसे बड़े सुपरहीरो तो हनुमान जी ही हैं। आज तो हम मंदिर में जाकर बजरंगबली की पूजा आराधना कर उनसे अपनी रक्षा की विनती करते हैं। लेकिन जरा सोचिये, आज भी हनुमान जी हमारे बीच होते तो? कितनी गजब बात होती ना? अच्छा अब मैं यह कहूं कि हो सकता है हनुमान जी आज भी हमारे बीच मौजूद हैं तो आपको विश्वास नहीं होगा। लेकिन आप मानिये या ना मानिये, ये तथ्य इस बात को प्रमाणित करते हैं।
आठ ‘चिरंजीवियों’ में से एक हैं हनुमान जी
किसी एक श्लोक में तो नहीं लेकिन ‘महाभारत’ और ‘रामायण’ में, हनुमान जी सहित सात लोगों के ‘चिरंजीवी’ अर्थात अमर होने का जिक्र किया गया है। जिनमें द्रोणाचार्य के पुत्र ‘अश्वत्थामा’, प्रहलाद के परपुत्र ‘बलि’, महाभारत के राजगुरु ‘कृपाचार्य’, विष्णु भगवान के छठे अवतार ‘परशुराम’, रावण के भाई ‘विभीषण’, ऋषि मृकंदु के पुत्र ‘मार्कंडेय’ और महाभारत के रचियता ‘वेद व्यास’ शामिल हैं।
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प्रमाण मौजूद नहीं
जब-जब भगवान ने मानव शरीर के रूप में प्रथ्वी पर जन्म लिया है। उन्हें पृथ्वी लोक को छोड़कर जाना पड़ा है, जिसका कोई न कोई प्रमाण, किसी न किसी ग्रन्थ या पुराण में मौजूद है। जैसे कि भगवान श्रीराम ने सरयू नदी में खुद को समर्पित कर अपने मानव शरीर को त्याग दिया था। लेकिन हनुमान जी का पृथ्वी लोक को छोड़कर जाने का जिक्र किसी ग्रन्थ या पुराण में मौजूद नहीं है।
अमरत्व का वरदान
रामायण के चालीसवें अध्याय में लिखा गया है कि जब श्रीराम लंका विजय कर लौटे थे। तब श्री राम ने हनुमान जी से प्रसन्न होकर उनसे कहा था कि “संसार में मेरी कथा जब तक प्रचलित रहेगी, तब तक तुम्हारी कीर्ति अमिट रहेगी, और तुम्हारे शरीर में प्राण भी रहेंगे।
चारों युगों में हनुमान जी के होने का है प्रमाण
श्री हनुमान चालीसा में गोस्वामी तुलसीदास ने भी लिखा है कि, ‘चारों जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा।’