बवाना अग्निकांड में चश्मदीद प्रकाश ने किये हैरान कर देने वाले खुलासे…

बवाना में 20 जनवरी की शाम को एक फैक्ट्री में लगी आग में 17 लोग मारे गए थे. हादसे के 15 दिन बाद पीड़ित प्रकाश ने फैक्ट्री को लेकर हैरान कर देने वाले खुलासे किए हैं. प्रकाश के अनुसार फैक्ट्री को मनोज का बेटा संभालता था. हादसे वाली शाम भी मनोज का बेटा खाना लेकर फैक्ट्री पहुंचा था, और खाना देने के बाद ताला लगाकर चला गया था.

प्रकाश को हैरानी

प्रकाश को हैरानी है कि पुलिस और एंजेंसी की जांच में मनोज के बेटे का नाम सामने नहीं आया. प्रकाश ने कहा कि उसे दिल्ली में अपनी जान का खतरा लग रहा था इसलिए वह अपने गांव आ गया. बवाना की पटाखा फैक्ट्री में पुलिस ने बेशक ललित गोयल ओर मनोज जैन का आरोपी बनाया हो, लेकिन रूप प्रकाश का दावा है कि पटाखा फैक्ट्री को मनोज जैन का बेटा भी संभालता था.    

ऊंचाई से कूदकर बचाई थी जान

बता दें कि प्रकाश सिंह बवाना अग्निकांड बचने वाला मजदूर है, जिसने दूसरी मंजिल से बाहर कूदकर अपनी जान बचाई थी. 25 साल के प्रकाश की ऊंचाई से कूदने पर एक टांग पूरी फ्रैक्चर हो गई थी. घायल हालात में उसे वाल्मीकि अस्पताल ले जाया गया और फिर उसे रोहिणी के बाबा साहिब अस्पताल रेफर कर दिया. घटना की सूचना पाकर दिल्ली पहुचे रूप प्रकाश के परिवार को रूप प्रकाश की जान को खतरा लगा तो वे उसे अपने गांव ले आए.  

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परिवार के 3 लोगों की मौत

इस अग्निकांड में प्रकाश के परिवार के तीन लोगों की जान गई थी. इनमें रूप प्रकाश का सगा भाई रोहित ओर दो चचेरे भाई सूरज ओर संजीत थे. रूप प्रकाश अपने किसी रिश्तेदार के संपर्क से 3 दिन पहले ही काम पर लगा था. जबकि उसका सगा भाई उसी दिन काम पर लगा था. उसके दो चचेरे भाई काफी महीनों से काम कर रहे थे.

जिस समय पुलिस ने रूप प्रकाश से पूछताछ की वह डरा हुआ था. हैरत की बात है कि अभी तक रूप प्रकाश के 164 के बयान नहीं करवाए गए और न ही मनोज जैन कर बेटे को ही आरोपी बनाया.

चाइना से आता था बारूद

रूप प्रकाश मनोज जैन के बेटे की रिंकू के नाम से जनता था. रूप प्रकाश इससे पहले दूसरी फेक्ट्री में काम करता था. इस फेक्टरी में मनोज जैन के साथ 3 पार्टनर थे. जिस फेक्टरी में आग लगी उसमें चाइना से कंटेनर में भरकर बारूद आता था और दिल्ली व यूपी की गाड़ियों में भरकर माल जाता था. रूप प्रकाश का यह खुलासा साफ इशारा करता है कि बवाना में तमाम नियमो को ताक पर रखकर यह अवैध पटाखा फैक्ट्री पुलिस प्रशासन चलने दे रहा था.

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