फिल्म ‘पद्मावत’ को लेकर देशभर में हंगामा मचा हुआ है। वजह है मशहूर बॉलीवुड निर्माता निर्देशक संजय लीला भंसाली द्वारा राजपूत रानी पर बनाई गई फिल्म को लेकर मचा विवाद। जिसमें रानी पद्मावती और मुसलमान शासक अलाउद्दीन खिलजी के बीच प्रेम प्रसंग के बारे में बताया जा रहा है।
फिल्म के इसी विवादित विषय को लेकर कुछ राजपूत संगठन इस फिल्म के विरोध में खड़े हो गए हैं। खासकर राजस्थान की राजपूत करनी सेना ने तो इसके विरोध में फिल्म के सेट पर तोड़फोड़ करते हुए निर्माता संजय लीला भंसाली से हाथापाई तक कर दी।
कुछ दिन पहले मराठा शासक पेशवा बाजीराव पर बाजीराव मस्तानी नाम से सफल फिल्म बनाने वाले भंसाली इस बार एतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ के आरोपों में घिर गए हैं। हालांकि रानी पदमावती को लेकर इतिहासकार भी एकमत नहीं हैं।
कोई रानी पदमावती के अस्तित्व को ही नकारता है तो कोई दोनों पात्रों के अलग अलग सदी में होने का दावा करता है। तो फिर रानी पदमावती को लेकर असली कहानी है क्या, आइए दस प्वाइंट्स में जानने का प्रयास करते हैं कुछ ऐसे ही तथ्यों के बारे में।
1. रानी पदमावती के किरदार के बारे में सबसे पहली जानकारी मशहूर कवि मलिक मोहम्मद जायसी की 1540 में लिखी गई कविता में मिलती है, जिसे पदमावत कहा गया।
2. इसके अलावा एक मशहूर धारणा है कि रानी पदमिनी राना रतन सिंह की धर्मपत्नी थी। साल 1303 में अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़गढ़ के शासन पर हमला किया। कुछ इतिहासकार बताते हैं कि अलाउद्दीन रानी पदमावती को बंधक बनाना चाहता था।
3. इसके लिए अलाउद्दीन ने राना रतन सिंह को बंधक बना लिया और पदामवती को एक संदेश भेजा कि राजा को मुक्त किया जा सकता है अगर वह उसके साथ चलने के लिए राजी हो जाए।
4. रानी पदमावती ने राना को बचाने के लिए 700 सैनिकों को भेजा और उन्होंने सफलतापूर्वक राजा को बचा लिया। इसी बीच खिलजी राजा
और सैनिकों के पीछे पीछे चल दिया।
5. इसके बाद चित्तौड़गढ़ के किले में राना और खिलजी के बीच भयंकर युद्ध हुआ जिसमें राना मारे गए। इसके बाद खुद की आबरू बचाने के लिए राजनी पदमिनी जौहर के तहत खुद को आग के हवाले कर दिया, ताकि खिलजी उस तक न पहुंच सके।
6. वहीं कुछ इतिहासकार कहते हैं कि राजनी पदमिनी केवल एक काल्पनिक किरदार थी जिसे सूफी कवि और गायक मलिक मोहम्मद जायसी ने महाकवि तुलसीदास की रामचरित मानस से 30 साल पहले अवधी में लिखा था।