तीन तलाक पर एमजे अकबर बोले- इस्लाम नहीं मुस्लिम मर्दों की जबरदस्ती खतरे में

तीन तलाक पर पाबंदी लगाने वाला ‘मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज बिल’ गुरुवार को लोकसभा में पेश हुआ। लोकसभा में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से तीन तलाक को गैरकानूनी करार दिए जाने की बात रखी और कहा कि तीन तलाक को लेकर लाया गया बिल महिलाओं की गरिमा से जुड़ा है। इसी दौरान केंद्रीय राज्यमंत्री एमजे अकबर ने कहा कि- एक मुस्लिम होने के नाते मैं यह बात रखना चाहता हूं कि इस बिल को लेकर जहर फैलाया जा रहा है कि इससे इस्लाम खतरे में है, इस्लाम नहीं मुस्लिम मर्दों की जबरदस्ती खतरे में है।
तीन तलाक पर एमजे अकबर बोले- इस्लाम नहीं मुस्लिम मर्दों की जबरदस्ती खतरे मेंवहीं इससे पूर्व रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी तीन तलाक को गलत बताया है और ये उम्मीद थी कि शीर्ष अदालत के फैसले के बाद स्थितियां बदलेंगी, लेकिन फिर भी इससे जुड़े कई मामले सामने आए। इस बीच रविशंकर ने इस्लामिक देशों में बिल पर लगाए प्रतिबंधों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आतंकवादी देश है, लेकिन वहां भी तीन तलाक के खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं।

अफगानिस्तान, तुर्की, मिस्र, ईरान और बांग्लादेश में भी तीन तलाक के खिलाफ कदम उठाए गए हैं। इस्लामिक देशों ने तीन तलाक को रेगुलेट किया और कहा गया है कि अगर आपको अपनी पत्नी को तलाक देना है तो उसे पहले नोटिस दीजिए। साथ ही कोई इन नियमों का उल्लंघन करता है तो उसे एक साल की जेल का प्रावधान भी है।

रविशंकर ने कहा कि आज दुनिया कहां पहुंच गई है और हम अभी भी वहीं खड़े हुए हैं। विपक्ष की ओर से हो रहे विरोध पर रविशंकर ने कहा कि बिल को दलों की राजनीति में नहीं बाटा जाना चाहिए।

कांग्रेस बोली- बिल को स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाए
कांग्रेस की ओर से मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि बिल में कई खामियां हैं, इसलिए बिल को स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाए, क्योंकि ये खामियां वहीं दूर हो सकती हैं। खड़गे ने कहा कि हम सब बिल के समर्थन में हैं, लेकिन कमियों को भी दूर किया जाना भी जरूरी है।

दरअसल, बिल के पेश किए जाने से पहले लोकसभा में सांसद ओवैसी समेत कई दलों ने नाराजगी जताई। सांसद ओवैसी का कहना है कि ये बिल मौलिक अधिकारों के खिलाफ है। विरोध कर रहे दलों में एक समाजवादी पार्टी ने कहा कि सभी पक्षों से बातचीत के बाद ही इस पर कोई कदम उठाया जाना चाहिए। लालू प्रसाद की पार्टी आरजेडी को बिल के कई प्रावधानों में आपत्ति है। वहीं कांग्रेस का कहना है कि वे सजा के प्रावधान का विरोध करेंगे।

इस विधेयक के कानूनी जामा पहनते ही किसी भी रूप में एक साथ तीन तलाक का सहारा लेने वालों को तीन साल तक की सजा भुगतनी होगी। जहां कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, वाम दलों सहित कई पार्टियां इस बिल के खिलाफ एकजुट हो गई हैं, वहीं सरकार ने इसे लैंगिक न्याय, समानता और महिलाओं की गरिमा का मुद्दा बताते हुए विरोध की परवाह न करने का दो टूक संदेश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट के तीन तलाक को असंवैधानिक ठहराने के बाद सरकार ने इसे दंडनीय अपराध की श्रेणी में लाने के लिए बिल पेश करने का मन बनाया है। गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडलीय समिति ने इस बिल को तैयार किया है। लोकसभा में इसे कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद पेश करेंगे। हालांकि सरकारी सूत्रों ने बिल को पेश करने के बाद संसदीय समिति को भेजे जाने की संभावना से इनकार नहीं किया है।

तीन तलाक पर लाए बिल में कई प्रावधान

बिल में एक साथ तीन तलाक और तलाक-ए-बिद्दत को अवैध करार दिया गया है। बिल में मौखिक, लिखित अथवा ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सएप इत्यादि सभी तरीकों से एक साथ तीन तलाक को अवैध करार दिया गया है और इसके लिए पति को तीन साल की कैद का प्रावधान किया गया है।

केंद्रीय कैबिनेट इस बिल को इस महीने के शुरू में ही हरी झंडी दे चुकी है। बिल के प्रावधान के अनुसार पति पर जुर्माना भी लगेगा और इसकी राशि तय करने का अधिकार मामले की सुनवाई करने वाले मजिस्ट्रेट को होगी। 

सरकार यह बिल इस वजह से ला रही है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक साथ तीन तलाक को गलत करार दिए जाने के बावजूद यह बदस्तूर जारी है। प्रस्तावित कानून एक साथ तीन तलाक के मामले में लागू होगा और यह पीड़िता को अपने और नाबालिग बच्चों के लिए गुजारा भत्ता हासिल करने के लिए मजिस्ट्रेट से संपर्क करने का अधिकार देगा। इसके साथ ही महिला मामले में अंतिम निर्णय लेने वाले मजिस्ट्रेट से अपने नाबालिग बच्चों को अपने पास रखने का अधिकार मांग सकती है। 

जानिए बिल पर कौन क्या बोला-

-आल इंडिया मुसिलम पर्सनल बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी का कहना है कि तीन तलाक पर केंद्र सरकार का रुख उसके निजी राजनीतिक हितों पर टिका हुआ है। 

-केंद्र सरकार के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का कहना है कि यह बिल काफी पहले ही पास हो जाना चाहिए था। मुस्लिम महिलाएं अपने सवैंधानिक अधिकारों के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रही हैं। 

-तेलगु देशम पार्टी के सांसद रविन्द्र बाबू पंडौला का कहना है कि हम पूरी तरह इस बिल का समर्थन करेंगे। 

-दिल्‍ली से भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने इस बिल पर कहा कि महिलाएं इस देश में बड़ी अल्पसंख्यक हैं, हम सबको इसके समर्थन में आकर मुस्लिम लॉ में समर्थन करना चाहिए। 

वहीं भाजपा के राज्यसभा सदस्य और केंद्रीय राज्यमंत्री एमजे अकबर ने कहा कि मैं मुसलमान होने के नाते पूरी जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं कि इस्लाम खतरे में है यह बात कहकर समाज खतरे में फैलाया जा रहा है जबकि ऐसा कुछ नहीं है। अकबर ने कहा सिर्फ मुसलमान मर्दों की जबरदस्ती खतरे में है और कुछ नहीं।
 

 

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