सपा-कांग्रेस नेताओ ने खुद को बताया हिंदू, योगी सरकार को कहा- हिंदू विरोधी

उत्तर प्रदेश प्रयाग राज मेला प्राधिकरण इलाहाबाद विधेयक शुक्रवार को समूचे विपक्ष के विरोध तथा सपा और कांग्रेस की नारेबाजी व बहिर्गमन के बीच विधानसभा से पारित हो गया। विपक्ष ने सरकार पर इस विधेयक के जरिए हिंदू परंपरा से खिलवाड़ करने, वेदों व पुराणों की मान्यता को ठुकराने तथा सनातन धर्म व ऋषि-मुनि परंपरा का अपमान करने का आरोप लगाते हुए इसे वापस लेने की मांग की। लेकिन, विधानसभा अध्यक्ष ने विपक्ष के आरोपों पर संसदीय कार्यमंत्री के जवाब के बाद इस मांग को नामंजूर कर दिया।
सपा-कांग्रेस नेताओ ने खुद को बताया हिंदू, योगी सरकार को कहा- हिंदू विरोधी
नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना ने प्रयागराज मेला प्राधिकरण इलाहाबाद विधेयक को चर्चा के लिए प्रस्तुत किया। नेता विपक्ष राम गोविंद चौधरी ने अर्धकुंभ को कुंभ, कुंभ को महाकुंभ नाम देने, सिर्फ सरकारी अफसरों की तैनाती और मेला को लेकर पर्यावरणीय व्यवस्था की आड़ में हिंदू आस्था व मान्यता को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया।

चौधरी ने वेद, ज्योतिर्विज्ञान, खगोलीय घटनाक्रमों के अलावा तमाम पौराणिक व धार्मिक संदर्भों का हवाला देते हुए अर्धकुंभ को कुंभ व कुंभ को महाकुंभ नाम देने पर आपत्ति जताई। कहा कि शास्त्रों में छह वर्ष पर अर्धकुंभ, 12 साल पर कुंभ और 12 कुंभ यानी 144 साल पर महाकुंभ की व्यवस्था है। चौधरी ने कहा कि हिंदुओं की सबसे बड़ी लंबरदार बनने वाली, रामराज्य स्थापित करने की बात करने वाली पार्टी की सरकार के मुखिया इसे बदलने जा रहे हैं। यह सरकार दिखाना चाहती है कि वह खगोलीय घटनाओं के परिवर्तन की क्षमता रखती है।

उन्होंने कहा कि ऐसा करने वालों को राक्षस माना गया है। रावण ने ऐसा ही किया था, उसका हश्र जग विदित है। बसपा विधायक दल के नेता लालजी वर्मा व कांग्रेस विधायक दल के नेता अजय कुमार लल्लू ने भी चौधरी की बात पर बल दिया।

‘नाम बदलने से उद्देश्य नहीं बदल जाते’

संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि नेता विरोधी दल गलत तरीके से बात रखने में माहिर हैं। सरकार किसी कार्यकलाप पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाने जा रही। किसी परंपरा से छेड़छाड़ नहीं होगी। सुविधा और सहूलियत के लिए प्राधिकरण का गठन हुआ है। नाम बदलने से उद्देश्य नहीं बदल रहा।

मंत्री ने सदस्यों को आश्वस्त किया कि सरकार नियमावली बनाते समय विपक्ष के सुझावों का ध्यान रखेगी। विधानसभा अध्यक्ष ने सत्ता पक्ष और विपक्ष की बात सुनने के बाद विधेयक पारित कराने की कार्यवाही शुरू की तो चौधरी के नेतृत्व में सपा और कांग्रेस के सदस्य वेल के सामने आकर ‘राम विरोधी यह सरकार नहीं चलेगी-नहीं चलेगी’ की नारेबाजी करने लगे।

संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि जितनी गलत जानकारी है, सब विपक्ष के पास है। इसके बाद चौधरी की अगुवाई में सपा व कांग्रेस सदस्य सदन से बाहर चले गए। बसपा सदस्य सीटों पर बैठे रहे। बसपा के विरोध के बीच यह विधेयक पारित कर दिया गया।

असली हिंदू इधर हैं..

राम गोविंद ने प्राधिकरण में सिर्फ सरकारी अफसरों को नियुक्ति करने और बिंदु-19 के प्रावधान पर सवाल उठाया। बिंदु-19 में कहा गया है कि संगम क्षेत्र में किसी प्रकार के क्रियाकलाप और पुरुषों, महिलाओं या बालकों के ऐसे किसी लघु या बृहत जनसमूह की अनुमति नहीं दी जाएगी जो पर्यावरण, लोकशांति और प्रशांति के लिए परिसंकटमय हो।

चौधरी ने सवाल किया कि क्या सरकार साधुओं को धूनी नहीं रमाने देगी, आग नहीं जलाने देगी, लाउडस्पीकर नहीं बजाने देगी? क्या ऐसा करने पर 100 से 1000 रुपये तक जुर्माना वसूला जाएगा? अखाड़ा परिषद 29 दिसंबर को इसका विरोध करने जा रहा है।

उन्होंने कहा कि असली हिंदू इधर हैं। चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष से अपील की कि वे हिंदू धर्म, सनातन धर्म की रक्षा करना चाहते हैं तो सरकार को सख्ती से निर्देश दें कि वह विधेयक वापस ले। कहा, अब तक ये हिंदू बनाम मुस्लिम, हिंदू बनाम ईसाई लड़ते थे, लेकिन विपक्ष ‘हिंदू बनाम हिंदू’ की लड़ाई लड़कर इन्हें बेनकाब करेगा।

क्या राम जन्मभूमि, कृष्ण जन्मभूमि का नाम बदल देंगे?

नाम बदलने से फर्क न पड़ने के मंत्री के तर्क पर पलटवार करते हुए चौधरी ने कहा कि बीज मंत्र ‘राम-राम’ को भाजपा ने ‘जय श्री राम’ कर दिया। ये हमेशा हिंदू धर्म, सनातन धर्म से खिलवाड़ करते आए हैं।

उन्होंने सवाल किया कि क्या राम जन्म भूमि, कृष्ण जन्मभूमि व कैलाश मानसरोवर का नाम बदल देंगे? इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि कुछ लोग उसे विवादित ढांचा भी कहते हैं। उन्होंने कहा कि जला दो वेद-पुराण, कह दो नहीं मानते। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यह राम-कृष्ण की भूमि है। हिंदुओं की आस्था से खिलवाड़ न करें।

वहीं, लालजी वर्मा ने विधेयक में प्राधिकरण के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के साथ अध्यक्षा व उपाध्यक्षा जोड़ने पर आपत्ति जताई। संसदीय कार्यमंत्री ने अध्यक्ष के साथ अध्यक्षा व उपाध्यक्ष के साथ उपाध्यक्ष शब्द हटाने का प्रस्ताव किया। अब दोनों ही पद क्रमश: अध्यक्ष व उपाध्यक्ष माने जाएंगे। इस संशोधन के साथ विधेयक को भी पारित कर दिया गया।

 
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