इस शख्स की आपबीती सुन, अपने बच्चों को आप कभी नहीं भेजेंगे विदेश

किसी तरह जान बचाकर सर्बिया से लौटे भारतीय युवक ने वो खौफनाक सच बताया, सुनकर आप हिल जाएंगे और बच्चों को विदेश न भेजने की ठान लेंगे। देश भर के बेरोजगारों पर ठगों की नजर है। वे विदेश में नौकरी का झांसा देकर गरीबों की गाढ़ी कमाई हड़प रहे हैं। इनका पाकिस्तान के एजेंटों तक से साठगांठ है। यह दास्तां छह महीने तक सर्बिया, ग्रीस आदि देशों में रहकर किसी तरह सितंबर में बचकर भागे गांव काकौत के कुलदीप ने सुनाई।
इस शख्स की आपबीती सुन, अपने बच्चों को आप कभी नहीं भेजेंगे विदेश  कहा कि उसकी जान तो बच गई, लेकिन लगभग 13 लाख रुपये की एजेंट हड़प लिए। एजेंट आज भी करनाल में बिना कार्यालय चला कर शिकार ढूंढ़ रहे हैं। कहा कि अब तकरीबन तीन महीने बाद पूंडरी पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की है। गांव काकौत के कुलदीप ने अमर उजाला को बताया कि उसने आईटीआई किया है। इसी बीच एक एजेंट पूंडरी में चाय की रेहड़ी चला रहे उसके पिता के पास आने-जाने लगा। उसने पिता को उसे विदेश भेजने का झांसा दिया और इसके लिए उसने 12 लाख 90 रुपये की राशि की मांग रखी।

एजेंट के कहने पर उसने करनाल के एक बैंक में खाता खुलवाकर उससे मिली चेक बुक एजेंट को दे दी। साथ ही 1 लाख रुपया दे दिया। उसका आरोप है कि, वर्ष 2016 में उसके कहने पर उन्होंने उस खाते में ढाई लाख रुपये की राशि जमा करा दिए। आरोप है कि, इस पर एजेंट ने इसमें से 2 लाख रुपये निकलवा लिए और कहा कि खाते में लेन-देन दिखाना जरूरी है। करीब सात-आठ माह तक वह इसी तरह उन्हें टरकाता रहा। बीच में एक बार उसे दिल्ली भी ले गया, जहां उससे सर्बिया जाने के लिए कागजातों पर हस्ताक्षर करवा लिए।

कर्मचारियों की साठगांठ से फर्जी वीजा से सर्बिया भेजने का आरोप

कुलदीप ने बताया कि मार्च 2017 में एजेंट ने कहा कि उसका वीजा बन गया है। वह परिजनों सहित दिल्ली में मिलें, वहीं उसका वीजा, पासपोर्ट मिल जाएंगे। इसके बाद वह दिल्ली गया। यहां नोटबंदी के दौरान किसी तरह जुटाए तकरीबन नौ लाख 40 हजार रुपये कैश दे दिए। यहां से दो बार उसे एयरपोर्ट से बाहर कर दिया गया। इस पर उससे कहा गया कि, कोई गलती हो गई होगी। वह फिर बातों में आ गया। आरोप है कि, बाद में एजेंट ने एयरपोर्ट के एक कर्मचारी से सेटिंग की और जिस वीजा को फर्जी बताया जा रहा था, उसी के जरिये सर्बिया की फ्लाइट में सवार करा दिया।

बीच में उसे अबुधाबी में उसे रुकने के लिए कहा गया। वह किसी तरह अबुधाबी एयरपोर्ट से बाहर आया तो यहां उसे छह-सात पाकिस्तानी युवक मिले। यहां वीजा संबंधी औपचारिकता पूरी करने की बात कहकर उसे एक जगह ले गए। जहां उसे करीब ढाई माह तक एक फार्म पर रखकर जान से मारने की धमकी देकर काम करवाया। इसी बीच उनके परिजनों ने पुलिस को सूचना दी। लेकिन पुलिस ने यहां कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद यही युवक उसे सर्बिया के बॉर्डर से जंगलों से होते हुए ग्रीस ले गए।

जंगल में वे कई दिनों तक भूखे रहे। ग्रीस में पाकिस्तानियों ने उनके घर पर फोन करवाकर उनके खाते में 2 लाख रुपये जमा करवाने को कहा। कई दिनों तक उनकी चंगुल में रहने के बाद वह किसी तरह उनके कब्जे से भाग निकला और वहां एक भारतीय पंजाब से एमपी सिंह नामक सरदार से विनती की कि उसके कागजात कुछ युवकों ने छीन लिए हैं और वे उसका पीछा कर रहे हैं। इसके बाद सरदार ने 300 यूरो से ज्यादा खर्चकर भारतीय दूतावास से संपर्क करवाया और वह किसी तरह सितंबर माह में स्वदेश लौट पाया।

लौटकर पुलिस को दी शिकायत

यहां आकर पुलिस में दी शिकायत पर कार्रवाई की मांग की, लेकिन पुलिस ने अब दिसंबर माह में आकर केस दर्ज किया है। आरोप है कि, एजेंटों की पुलिस से भी साठगांठ है। वह एजेंटों को अंदर बैठाती है तो उन्हें बाहर बैठना पड़ता है। यह एजेंट आज भी करनाल में अपना कार्यालय खोल हुए हैं और उनकी लगभग 13 लाख रुपये की खून-पसीने की कमाई हड़प लिए हैं।
 

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