मुस्लिम महिलाओं की मोदी से मांग, ‘बैन करें लड़कियों का खतना’
दाऊदी बोहरा समाज की कई महिलाएं इस हफ्ते एक अभियान शुरू करने के लिए एक साथ आई हैं. इस अभियान के जरिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से महिला जननांग विकृति (Female Genital Mutilation) को अवैध घोषित करने की मांग की है. (सभी फोटो प्रतीकात्मक हैं
महिला जननांग विकृति यानी बोहरा समुदाय में सालों से ‘ख़तना’ या ‘ख़फ्ज़’ प्रथा. इस प्रथा में मुस्लिम बच्चियों के जननांग को खतना किया जाता है.
इस प्रथा के तहत मुस्लिम बच्चियों के सात साल का हो जाने पर घर की बुजुर्ग महिलाएं डॉक्टर के पास ले जाकर उनका खतना करा देती हैं.
बोहरा, शिया मुस्लिम हैं, जिनकी संख्या लगभग 20 लाख बताई जाती है और ये महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान में बसे हैं.
19 नवंबर को बाल दुर्व्यवहार निवारण के लिए विश्व दिवस पर ‘WeSpeakOut’ के बैनर के तहत एक ऑनलाइन अभियान भी शुरू किया गया था.
बता दें कि भारत में एंटी एफजीएम कानून नहीं है, ऐसे में कई देशों के विपरीत यह प्रथा प्रचलित है. अब यह पत्र आग्रह करता है कि सरकार, राज्य सरकारों को कम से कम एडवाइजरी जारी करे. साथ ही बोहरा समाज के लिए मौजूदा आईपीसी और पीओसीएसओ प्रावधानों के अंतर्गत एफजीएम को एक अपराध घोषित किया जाए.
महिलाओं का कहना है, ‘एफजीएम यौन हिंसा का एक रूप है, जिसके गहरे भावनात्मक, यौन और शारीरिक परिणाम हैं. यह समय इसे समाप्त करने का है, क्योंकि ये महिलाओं और लड़कियों के दर्द का कारण है.’
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आंदोलन की अगुवाई कर रही महिलाओं में से एक महिला मासूमा राणालवी ने कहा, ‘हम प्रधानमंत्री को राज्य सरकारों और सैयदना के उद्देश्य से एक बयान जारी करने का अनुरोध करते हैं, जिसमें कहा गया है कि यह अवैध है, ताकि खत्म हो जाए.’