प्रदूषण की वजह से भारत में सबसे ज्यादा मौत, नम्बर 2 पर आया चीन: रिपोर्ट

New Delhi: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) बेशक वायु प्रदूषण को लेकर कड़ा रुख अपना रखा हो लेकिन उसका हम खुद नहीं दे रहे हैं जबकि इसमें हमारी ही भलाई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में सबसे ज्यादा प्रदूषण की वजह से मौते होती हैं, हालांकि इसमें जल, वायु और ध्वनि तीनों तरह के प्रदूषणों को मौत का कारण माना गया है।प्रदूषण की वजह से भारत में सबसे ज्यादा मौत, नम्बर 2 पर आया चीन: रिपोर्ट

यह रिपोर्ट लैंसेट कमीशन ऑन पॉल्यूशन और हेल्थ ने 2015 में तैयार की थी। रिपोर्ट के मुताबिक 2015 में भारत में प्रदूषण की वजह से 25 लाख लोग मारे गये। वहीं, चीन इस मामले में 18 लाख लोगों की मौत के साथ दूसरे स्थान पर रहा। वहीं, पाकिस्तान में 3,10,000 मौतें, नाइजीरिया में 2,50,000 मौतें, इंडोनेशिया में 2,10,000 मौतें, रूस में 1,70,000 मौतें, अमेरिका में 1,50,000 मौतें, कॉन्गो में 1,20,000 मौतें, ब्राजील में 1,00,000 मौतें और फिलीपींस में 90,000 लोगों की मौत सिर्फ और सिर्फ प्रदूषण की वजह से हुई।

प्रदूषण प्रभावित विश्व के Top 20 शहरों में भारत के 13 शहर

वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन (WHO) द्वारा 2014 में जारी की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक, विश्व के 20 प्रदूषित शहरों में 13 शहर भारत के ही हैं। एक अन्य रिपोर्ट जोकि 2012 में जारी की गई थी उसके मुताबिक भारत में 249304 लोगों की मौत हृदय रोग के कारण हुई, वहीं 1,95,000 लोग दिल के दौरे से मरे। लगभग 1,10,500 लोगों ने फेफड़े की बीमारी के चलते अपने प्राण त्याग दिए, तो 26330 लोगों की मौत फेफड़ों के कैंसर से हुई। विश्व संगठन की 1600 शहरों की सूची में दिल्ली का स्थान वायु प्रदूषण के मामले में सबसे ज्यादा खराब है।

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दिल्ली में कुल रजिस्टर्ड होने वाली कारों में 23 प्रतिशत डीजल कारें होती हैं। यहां 6 लाख से अधिक डीजल वाहन हैं। दिल्ली में व्यावसायिक डीजल वाहनों की संख्या 86 हजार से ज्यादा है और 10 साल से पुराने डीजल वाहनों की संख्या 118,773 है और 10 साल से ज्यादा पुराने व्यावसायिक डीजल वाहनों की संख्या 34,659 है।  दिल्ली की सड़कों पर हर दिन 85 लाख गाड़ियां चलती हैं और हर दिन उसनें 1400 नई कारें जुड़ जाती हैं।

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पर्यावरण के दुश्मन

कार्बन डाय ऑक्साइड अव्वल दर्जे की ग्रीनहाउस गैस है। कोयला, तेल और गैस को जलाने से 65 प्रतिशत ग्रीनहाउस गैस पैदा होती है। जबकि जंगल काटने से 11 प्रतिशत कार्बन गैस बनती है। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली मीथेन (16 प्रतिशत) और नाइट्रस ऑक्साइड (6 प्रतिशत) औद्योगिक कृषि से पैदा होती है।

 

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