ISIS के खिलाफ भारत यूएस के साथ मिलकर श्रीलंका और मालदीव के लिए करना चाहता है काम

हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए भारत अपनी रणनीति में बदलाव कर रहा है। अब भारत यूएस के साथ मिलकर श्रीलंका और मालदीव के लिए काम करना चाहता है। जबकि अबतक भारत यूएस को साउथ एशिया के देशों से दूर रखने की कोशिश करता रहा है।
इन दोनों ही देशों को चीन अपनी तरफ करना चाहता है। दोनों में से ज्यादा चिंता का विषय मालदीव है क्योंकि वहां के राष्ट्रपति यमीन का चीन की तरफ झुकाव दिखता है। ऐसे में चीन जिस तरह से मालदीव को आर्थिक स्तर पर मदद दे रहा है इससे लगता है कि आने वाले दिनों में चीन उसके बड़े हिस्से को अपने तरीके से इस्तेमाल करेगा। लक्षद्वीप के पास भी चीन कुछ निर्माण कार्य कर रहा है जो भारत के लिए चिंता का विषय है।
एक बार चीन अपने तीन जंगी जहाजों को मालदीव के पास तैनात कर रह था, इसपर भारत ने आपत्ति जताई तो मालदीव ने कोई ध्यान ही नहीं दिया। इसके बदले भारत ने भी कड़े तेवर दिखाए थे और उनके पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नसीद को दिल्ली बुला लिया था। नसीद को फिलहाल मालदीव से निष्काषित किया हुआ है, जिसके बाद से वह लंदन में रहे रहे हैं। अगले चुनाव में फिर उनकी सरकार बनने के आसार हैं। हालांकि अभी भी जब मालदीव में पानी की कमी होती है तो उन्हें दिल्ली की ही याद आती है।
मालदीव से तकरीबन 400 लोग आतंकी संगठन आईएस में भर्ती होने के लिए सीरिया और इराक गए थे। वहां की जनसंख्या काफी कम है जिसके हिसाब से यह नंबर काफी ज्यादा है। भारत और यूएस दोनों ही वहां से वापस मालदीव आने वाले लोगों पर नजर रखना चाहते हैं। साथ ही चीन द्वारा श्रीलंका पर जो कर्ज का दवाब बनाया गया है भारत और यूएस मिलकर उसे भी खत्म करने की कोशिश करने वाले हैं।





